जयपुर। दीनदयाल उपाध्याय जयंती निकट आ रही है। राज्य में सबकी नजर इस दिन भाजपा विधायक व दीनदयाल वाहिनी के संयोजक घनश्याम तिवाड़ी की ओर से आयोजित किए जाने वाले राज्य स्तरीय शक्ति प्रदर्शन पर है। इस प्रस्तावित रैली ने कई राजनीतिक अफवाहों और चिंताओं को जन्म दिया है। माना जा रहा है कि राजे विरोधी इसमें अपनी पूरी ताकत झोंक देने के मूड में हैं उधर, राजे समर्थक इस आयोजन से पूर्व अनुशासन का पाठ पढाने लग गये हैं। इस रैली को प्रदेश में एक बड़े राजनीति परिवर्तन की सुगबुगाहट के रूप में भी देखा जा रहा है। इन्हीं कयासों और चिंताओं पर सबगुरु न्यूज के एडीटारियल हेड परीक्षित मिश्रा ने जयपुर में घनश्याम तिवाड़ी से विशेष बातचीत में किए 10 सवाल।
सबगुरु न्यूज: मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा से आपकी इतनी नाराजगी है तो आप स्वयं ही भाजपा को क्यों नहीं छोड़ देते?
घनश्याम तिवाड़ी : मेरी नाराजगी न भाजपा से है और न ही पार्टी के किसी व्यक्ति विशेष से है। नाराजगी है तो सिर्फ पार्टी की नीतिगत विचारधारा के विपरीत हो रहे काम से, गलत काम करने वाले लोगों से हैं। चुनावी घोषणा-पत्र में कई वादे किए गए, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में काम नहीं किए गए, मुझे उससे आपत्ति है। मै कार्यों की नीतिगत आलोचना कर रहा हूं।
सबगुरु न्यूज: क्या आप पार्टी में रहकर ही तीसरा मोर्चा बनाने का इरादा रखते हैं?
घनश्याम तिवाड़ी : तीसरा मोर्चा बनाने की बात पर तिवाडी ने कहा कि दीनदयाल जी का सीकर से गहरा संबंध रहा है। उन्होंने सीकर से ही हाई स्कूल डिस्टींकशन से पास किया था और संभवत: देश में यह पहला या दूसरा स्थान होगा जहां पर दीनदयाल स्मृति संस्थान की स्थापना करीब 29 साल पहले की गई है। आगामी 25 सितम्बर को हम लोग दीनदयाल जन्म शताब्दी वर्ष पर उनके विचारों को फैलाने का कार्य करेंगे साथ ही कार्यकर्ता तय करेंगे की संगठन की राजनीतिक क्षेत्र में भी भूमिका निभाए अथवा नहीं।
सबगुरु न्यूज: मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और संगठन पर निरंतर हमला बोल रहे हैं। इसके बाद भी दोनों चुप्पी साधे हुए हैं। कयों? क्या वो आपके विरोध को तवज्जो नहीं देते या फिर घनश्याम तिवाडी की मान्यता लोगों में उनसे ज्यादा हो गई है?
घनश्याम तिवाड़ी : विरोध को तवज्जो देते हैं या नहीं देते हैं इसकी सामने वाले जानें, लेकिन वर्तमान में एक ही व्यक्ति को पार्टी और एक ही व्यक्ति को सरकार माना जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ता बेस व काडर बेस पार्टी है। इसमें आंतरिक लोकतंत्र को तवज्जो दी जाती है। खुद अटल बिहारी बाजपेयी जी ने कहा था कि इसे काडरबेस मास पार्टी बनाया जाए किसी व्यक्ति विशेष पर आधारित पार्टी नहीं।
सबगुरु न्यूज: मुख्यमंत्री व सरकार विकास और बेरोजगारों को नौकरी देने का दावा कर रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी समेत राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक उनकी प्रशंसा कर रहे हैं, तो आप विरोध क्यों कर रहे हैं? क्या इन लोगों को आपने कुछ बताया नहीं था?
घनश्याम तिवाड़ी : मुझे जिन लोगों को यह सब बताना था वह बता दिया है। मैने विधानसभा के माध्यम से यह सवाल उठाया था कि सरकार यह स्टेटस स्पष्ट कर दे कि किस विभाग में कितने लोगों को कितनी नौकरियां दी हैं। मेरी यही मंशा थी कि अब तक जितने रोजगार मुहैया कराए गए उन्हें लेकर कांग्रेस जो भ्रम फैला रही है उसे सरकार स्वयं जनता को स्टेटस देकर दूर कर देवे।
सबगुरु न्यूज: आखिर लड़ाई किस बात की है? यह मंत्री पद नहीं मिलने की व्यथा है या कुछ और?
घनश्याम तिवाड़ी : चाहता तो मैं भी मंत्री बन सकता था,लेकिन प्रदेश के मंत्रियों के क्या हाल हैं यह प्रदेश से छिपे नहीं हैं। स्वायत्त शासन मंत्री यूडीएच में भ्रष्टाचार की बात कहते हैं, चिकित्सा मंत्री चिकित्सा विभाग के हालातों पर शर्मिंदा हो रहे हैं, गृहमंत्री को यह कहना पड रहा है कि पुलिस विभाग के अधिकारी जमीनों के लेनदेन में लगे हैं। ऐसे में मैने शुरू से ही तय किया था कि मंत्री नहीं बनना है। हां, मैने इन्हें (वसुंधरा राजे) नेता बनाए जाने का विरोध किया था, लेकिन जब पार्टी हाईकमान ने उन्हें नेता घोषित कर दिया तो उनका समर्थन किया। लेकिन अब तो पार्टी की रीति-नीति पर चलना ही छोड़ दिया है। भाजपा के बाहर के लोगों को लाकर पार्टी में पदों पर बैठा दिया। इससे पार्टी से वर्षों से जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय हुआ है।
सबगुरु न्यूज: सुनने में आ रहा है कि आपको आरएसएस का वरदहस्त प्राप्त है, इसमें कितनी सच्चाई है?
घनश्याम तिवाड़ी : भामसं, शिक्षक संघ, विहिप आदि भाजपा की विचारधारा से जुडे संगठन सरकार की नीतियों के खिलाफ हैं। हर विचारधारा से जुडे लोगों का समर्थन मिल रहा है। जो बीजेपी के पद पर नहीं हैं वे भी अपनी पीड़ा जता रहे हैं एवं राष्ट्रवादी संगठनों के बीच भी सरकार ने अपना विश्वास खो दिया है। ऐसे लोग सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज होकर पार्टी की विचारधारा से विमुख नहीं हो जाएं, इसके लिए भी मै काम कर रहा हूं।
सबगुरु न्यूजः दीनदयाल वाहिनी क्या है? सुना है कि इसका गठन काफी समय पहले हो चुका था।
घनश्याम तिवाड़ी : दीनदयाल वाहिनी की स्थापना 19 दिसम्बर, 2015 को की थी। वर्तमान में 160 विधानसभाओं में इसका गठन किया जा चुका है। जहां नहीं किया गया है, वहां पर शीघ्र ही गठन कर लिया जाएगा।
सबगुरु न्यूजः प्रदेश में दीनदयाल वाहिनी को कितना समर्थन प्राप्त है। सुना है कि 25 सितम्बर को आप नई पार्टी का गठन करने वाले हैं?
घनश्याम तिवाड़ी: 25 सितम्बर को दीनदयाल शताब्दी वर्ष के तहत दीनदयाल जयंती पर संकल्प दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन हम इस बात का मनन करेंगे कि दीनदयाल वाहिनी ने अब तक क्या किया है। आगे क्या करना है इसका संकल्प इस दिन करेंगे। इसका विस्तार बूथों तक करने का कार्य करेंगे। यह एक सोशियो-पोलिटिकल संस्थान है। जिनका सरकार की नीतियों से विश्वास उठा है उनका भाजपा की विचारधारा से विश्वास नहीं उठे इसके लिए दीनदयाल वाहिनी कार्य कर रही है।
सबगुरु न्यूजः प्रदेश में आपके अलावा पार्टी में कितने लोग मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से खफा हैं? कहीं इन्हीं को लामबंद करके राजे को पदच्युत करने का इरादा तो नहीं है। दीनदयाल वाहिनी आगामी चुनावों में भाजपा के खोते हुए जनाधार को फिर से पाने का एक बी-प्लान तो नहीं है।
घनश्याम तिवाड़ी: मै तो कहता हूं बीजेपी का जनाधार न तो कभी घटा है न कभी घटेगा। भाजपा का जनाधार नहीं खो रही हैं, मुख्यमंत्री जनाधार खो रही हैं। कोई व्यक्ति भाजपा नहीं है। भाजपा किसी परिवार की पार्टी नहीं है। यह एक विचारधारा है। भाजपा संगठन में बहुत अधिक लोग सरकार की कार्यप्रणाली से नाराज हैं। मुख्यमंत्री कहती हैं कि उन्हें विधायकों को समर्थन प्राप्त हैं, लेकिन विचारधारा का विश्वास उन्हें प्राप्त नहीं है। वह गुप्त मतदान करवा देवें तो पता चल जाएगा कि कौन किसके साथ है।
सबगुरु न्यूजः लोग दीनदयाल वाहिनी पर विश्वास क्यों करें? वर्तमान भाजपा और दीनदयाल वाहिनी कितनी अलग है? इससे राजनीतिक शुचिता कितनी बचेगी।
घनश्याम तिवाड़ी : वाहिनी सामाजिक समरसता का कार्य कर रही है। हमने गोरक्षा का कार्य किया। मंदिरों के लिए काम किया। आरक्षण के विषय पर काम किया। दीनदयाल जी के एकात्म मानववाद के सिद्धांत पर हम काम कर रहे हैं।भाजपा एक संस्कृति और जन से निकली हुई पार्टी है। इसमें किसी का एकाधिकार नहीं है। यदि कोई एकाधिकार करने की कोशिश करेगा तो इस एकाधिकार को तोडने का काम दीनदयाल वाहिनी करेगी। कुछ लोग मुझे पार्टी विरोधी साबित करने की कोशिशों में लगे हैं जबकि मै तो पार्टी को पोषित करने की कवायद में जुटा हूं। वाहिनी पार्टी के ही मूल सिद्धांतों को पल्लवित पोषित कर रही है। इस विचारधारा के लोग इससे जुडे हुए हैं।
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