अयोध्या। भारत में भाजपा का राजनीतिक रूप से स्थापित करने का केन्द्र रहे अयोध्या की खोई विधानसभा सीट को फिर से पाने के लिए भाजपा को अब किसी चमत्कार कर इंतजार है। यहां पांच बार से भाजपा के एक छत्र साम्राज्य को बीते विधान सभा चुनाव में सपा ने ध्वस्त कर दिया था।
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के भरोसे सीट रक्षा का ख्वाब पालना सपा की मजबूरी बन गया है। इस विधान सभा क्षेत्र में सपा, भाजपा और बसपा के मध्य त्रिकोणात्मक मुकाबला होगा। मुस्लिम मतदाताओं की करवट ही इस सीट पर सपा और बसपा का भविष्य तय करेगी। सपा परिवार में चले लम्बे संघर्ष के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जातिवादी पार्टी की छवि को मिटाने के लिए कांग्रेस से गठबंधन किया।
इस गठबंधन के बाद समाजवादी पार्टी यह संदेश देने में कामयाब रही कि वह जातिवादी पार्टी नहीं है बल्कि समग्र समाज को एक साथ लेकर चलने वाला राजनीतिक दल है। अब देखना यह है कि इस रणनीति के साथ अयोध्या विधान सभा क्षेत्र का मतदाता कितनी दूर चलेगा।
मन्दिर मस्जिद आन्दोलन के बाद चली राम लहर का परिणाम यह रहा कि हांसिये पर चली गयी भाजपा 1991 के विधान सभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता अर्जित करते हुए विधान सभा क्षेत्र में भगवा ध्वज फहराने में कामयाब रही। 1991 में भाजपा के लल्लू सिंह और सपा के जयशंकर पाण्डेय के मध्य सीधा मुकाबला हुआ। भाजपा प्रत्याशी को 49 हजार 206 मत मिले जो सपा प्रत्याशी के पराजय का कारण बना।
भाजपा ने 30 हजार400 अधिक मत अर्जित कर विजय हांसिल किया। 1993 के चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह और सपा प्रत्याशी जयशंकर पाण्डेय आमने सामने थे। भाजपा प्रत्याशी को 58 हजार587 मत जहां मिले वहीं जयशंकर पाण्डेय 49 हजार 349 मत अर्जित कर दूसरे स्थान पर रहे। भाजपा ने 9 हजार 238 मतों से जीत अर्जित किया।
इसी तरह 1996 का विधानसभा चुनाव भी यह सीट भाजपा की झोली में गई। इस बार भी लल्लू सिंह के मुकाबले में जयशंकर पाण्डेय खडे थे। इस चुनाव में भाजपा को 59 हजार 658 और सपा को 38 हजार 463 मत प्राप्त हुए। इस तरह भाजपा ने 21 हजार 925 मत से विजय हांसिल किया। 2002 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह और बसपा प्रत्याशी अभय सिंह के मध्य कांटे की टक्कर थी।
भाजपा प्रत्याशी ने 51 हजार 289 और बसपा प्रत्याशी ने 33 हजार 429 मत हांसिल किया। इसबार भाजपा के लल्लू सिंह ने 17 हजार 860 मत से अभय सिंह को पटकनी दिया। 2007 के चुनाव में भाजपा के लल्लू सिंह ने समाजवादी पार्टी के इन्द्र प्रताप तिवारी खब्बू को हराया। भाजपा ने 59 हजार 493 व सपा ने 52 हजार 752 मत हांसिल किये।
इस तरह सपा प्रत्याशी 5 हजार 741 मत से पराजित हो गये। लगातार पांच चुनावों में भाजपा प्रत्याशी का अयोध्या विधान सभा क्षेत्र में एकक्षत्र साम्राज्य रहा परन्तु भाजपा के गिरते जनाधार और सपा की बढती लोकप्रियता २०१२ के चुनाव में भाजपा के लिए घातक साबित हुई।
इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के युवा नेता तेजनारायण पाण्डेय पवन और भाजपा के पूर्व विधायक लल्लू सिंह के मध्य सीधी टक्कर थी। इस चुनाव में सपा को 55 हजार 262 और भाजपा को 49 हजार 857 मत प्राप्त हुए। इस तरह 5 हजार 405 मत अधिक अर्जित कर तेजनारायण पाण्डेय ने भगवा दुर्ग में समाजवादी पार्टी की साइकिल दौडा दी।
भगवा दुर्ग को ध्वस्त करने में निर्दलीय प्रत्याशी किन्नर गुलशन बिन्दू का विशेष योगदान रहा। इस प्रत्याशी ने 21 हजार से ऊपर मत हांसिल किया माना गया कि भाजपा प्रत्याशी लल्लूसिंह के एक बडे वोट बैंक को निर्दल प्रत्याशी ने झटक दिया। इसी वजह से लल्लू सिंह की पराजय का कारण बनी थी।
अयोध्या विधान सभा क्षेत्र का 2017 का चुनाव रोचक मोड पर आ खडा हुआ है। भगवा दुर्ग को एक बार पुनः फतह करने के लिए सांसद लल्लू सिंह की मंशा थी कि उनके पुत्र विकास सिंह को अयोध्या विधान सभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बनाये। वेद प्रकाश गुप्ता को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया।
वेद प्रकाश गुप्ता का टिकट काटने की मांग को लेकर लगातार तीन दिन धरना प्रदर्शन व पुतला फूंका। प्रदेश नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद विरोध शांत हुआ।अब भाजपा कार्यकर्ता प्रचार में जुट गये हैं। मूल भाजपाई वोटर और गुप्ता मतदाताओं के बल पर इस बार वेद प्रकाश गुप्ता अयोध्या में कमल खिला सकते हैं।
दूसरी ओर इस विधान सभा क्षेत्र से बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए बज्मी सिद्दीकी को चुनावी समर में उतारा है बसपा को भरोसा है कि उसे सपा के भीतरघातियों के विरोध का लाभ मिलेगा और दलित तथा मुस्लिम वोट बैंक के भरासे वह सपा पटखनी देने में कामयाब होंगे। भाजपा प्रत्याशी वेद प्रकाश गुप्ता ने दावा किया है कि उन्हें अयोध्या के संतों, धर्माचायों के अलावा भाजपा के दोनों सांसदों का आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिए वह भाजपा को जीत दिलाने में जरूर कामयाब होंगे।