कानपुर। बहुजन समाज पार्टी संस्थापक कांशीराम की मौत के बाद मिशन से जुड़े नेताओं का पार्टी छोड़ने का क्रम अनवरत जारी है। जिससे कहीं न कहीं बसपा कमजोर होती दिख रही है, यह अलग बात है कि मायावती हर नेता के पार्टी छोड़ने के बाद यही कहती है कि अगर पार्टी न छोड़ते तो मैं निकाल देती।
लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्या के बगावत करने से अब यह बात साफ होती दिख रही है कि अन्य पिछड़ा वर्ग का बड़ा तबका भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद के साथ जुड़ जाएगा। जिसका संकेत सपा बसपा के कार्यालयों में ओबीसी के पदाधिकारियों के बीच हो रही चर्चा से मिल रहा है।
असम जीत के बाद भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व जिस अंदाज से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में पर्दापण किया है। उससे सत्ताधारी पार्टी सपा सहित सभी पार्टियां बेचैन हो उठी है। ऐसे में बाबू सिंह कुशवाहा, दद्दू प्रसाद, जुुगुल किशोर के बाद स्वामी प्रसाद मौर्या का पार्टी छोड़ना बसपा के लिए मुसीबत बनती जा रही है।
यह सभी नेता दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं और यह वर्ग बसपा के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहा। लेकिन अब देखना यह होगा कि बसपा अपने इस मजबूत वर्ग को कैसे साध पाती है। जानकारों की मानें तो अब बसपा में ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो खासतौर पर ओबीसी के बडे़ तबके को साध सके।
या यूं कहें कि भाजपा इस बात को जानती थी तभी ओबीसी के केशव प्रसाद मौर्या को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। चुनावी माहौल किस करवट बैठेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन अब एक बात साफ है सपा को छोड़कर ओबीसी का बड़ा चेहरा भाजपा के पास ही है। ऐसे में अगर यह कहा जाय कि स्वामी के पार्टी छोड़ने से भाजपा की राह आसान हो गई है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।
कार्यालयों में रहा चर्चा का विषय
स्वामी प्रसाद मौर्या के पार्टी छोड़ने के बाद बसपा में तो चर्चा का विषय बना ही रहा इसके साथ ही सपा भी इससे अधूरी नहीं रही। सपा में ओबीसी तबके के नेता जो यादव बिरादरी से नहीं है अब वह यही मान रहें है कि ओबीसी के मतदाताओं का प्रयोग किया जा रहा है। तो वहीं बसपा में तो पूरी तरह से खलबली मची हुई है। हो सकता है आने वाले दिनों में बसपा के बहुत से ओबीसी तबके के नेता भाजपा की शरण ले लें।
बाबू के बाद नुकसान के स्वामी
पिछले विधानसभा चुनाव भले ही चुनावी लहर में सपा पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही हो। लेकिन अगर बसपा के हारी हुई सीटों का आंकड़ा देखा जाय तो जहां पर कुशवाहा, मौर्या मतदाताओं की तादाद अच्छी रही है। वहां पर बसपा एक हजार से दो हजार वोटों से दर्जनों सीट हार गई थी।
अब तो स्वामी भी पार्टी छोड़ चुके है यह अलग बात है कि वह भाजपा के साथ जाते है या अन्य किसी पार्टी में। लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या के चलते इन सीटों पर भाजपा को बढ़त मिल सकती है। उसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि इस वर्ग के पास केशव सरीखे अब प्रदेश में कोई बड़ा चेहरा नहीं है।