नई दिल्ली। कांग्रेस ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी पर आगामी राज्यसभा चुनावों के मद्देनजर, विपक्ष को डराने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस ने यह आरोप आयकर विभाग द्वारा कर्नाटक के एक मंत्री के दिल्ली और बेंगलुरू स्थित उनके घरों में छापेमारी के बाद लगाया। राज्यसभा में कांग्रेस के विरोध के बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने पूछा कि इस तरह की कार्रवाई करने के लिए सरकार राज्य और केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। यह कैसा लोकतंत्र है? क्या यही लोकतंत्र के मूल्य हैं।
आयकर विभाग ने बुधवार सुबह कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री डी.के. शिवकुमार के बेंगलुरू में ईगलटन गोल्फ रिजॉर्ट में छापेमारी की। इसी रिजॉर्ट में कांग्रेस ने अपने 44 विधायकों को ठहराया हुआ है। दरअसल, आगामी उच्च सदन के चुनावों के मद्देनजर शनिवार को गुजरात में कांग्रेस के कुछ विधायकों ने पार्टी से विद्रोह कर दिया था और पार्टी को डर है कि उसके अन्य विधायक भी ऐसा कर सकते हैं।
आयकर विभाग ने मंत्री के कर्नाटक और दिल्ली में उनके 39 ठिकानों पर छापेमारी की। आजाद ने सवाल किया कि यदि सरकार जानती थी कि वह भ्रष्टाचार में शामिल हैं, फिर इस वक्त शिवकुमार के घरों पर छापेमारी क्यों की गई।
आजाद ने आरोप लगाया कि भाजपा ने राज्यसभा चुनावों में क्रॉस मतदान करने के लिए कांग्रेस के विधायकों को 15 करोड़ रुपए रिश्वत देने की पेशकश की है।
उन्होंने कहा कि छापेमारी उनपर कीजिए, जिन्होंने 15 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की। यह आरोप आपकी पार्टी पर हैं न कि हमारे ऊपर।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि कार्रवाई का समय महत्वपूर्ण और खास है। यदि शिवकुमार के खिलाफ कुछ मामला था और यदि उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन किया था, तब उन्हें पहले नोटिस दिया जाना चाहिए था।
राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता ने कहा कि शिवकुमार और उनके भाई गुजरात के विधायकों को रिजॉर्ट में ठहराने का प्रबंधन देख रहे हैं। उनको निशाना बनाया गया है। मुझे यह कहते हुए खेद हो रहा है, लेकिन यह संयोग नहीं हो सकता।
आनंद शर्मा के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि छापेमारी 39 स्थानों पर की गई। बेंगलुरू स्थित रिजॉर्ट में कोई छापामारी नहीं हुई। रिजॉर्ट में उपस्थित केवल एक व्यक्ति की तलाशी ली गई।