झांसी। उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में 265 प्लस का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही भाजपा को उसके अपने नेता ही पलीता लगाने में जुटे हुए हैं।
नए प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के नेतृृत्व में झांसी में पहली कार्यसमिति के पहले ही दिन झांसी की सांसद व केन्द्रीय मंत्री उमा भारती, गोरखपुर के सांसद महंत आदित्य नाथ और मेनका गांधी गैर हाजिर रहे।
पार्टी की परम्परा के मुताबिक स्थानीय सांसद कार्यसमिति की बैठक की मेजबानी करता है और यही वजह है कि यहां की स्थानीय सांसद की पहले ही गैरमौजूदगी कार्यकर्ताओं को खटक रही थी तथा सवाल भी उठ रहे थे।
हालांकि मीडिया प्रतिनिधियों ने प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान प्रदेश महामंत्री स्वतंत्र देव सिंह और विजय बहादुर पाठक से उनकी गैरमौजूदगी के बारे में पूछा गया तो वे गोलमोल जवाब दिए।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक अपनी उपेक्षा से नाराज झांसी की सांसद और कैबिनेट मंत्री उमा भारती काफी आग्रह के बाद भी कार्य समिति की बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचीं।
झांसी में स्थित भानी देवी गोयल सरस्वती विद्या मंदिर में भाजपा की दो दिवसीय कार्य समिति की शुरूआत कलराज मिश्र ने शनिवार को की लेकिन सबकी निगाहें स्थानीय सांसद और फायर ब्रांड नेता उमा भारती को तलाश रहीं थीं। उदघाटन सत्र के बीत जाने के बाद भी उमा कार्यक्रम में नहीं पहुंची।
सूत्रों की माने तो उमा भारती महाराष्ट्र में किसी कार्यक्रम में हैं। खबर है कि यहां उनके समर्पित कार्यकर्ता भी कार्यसमिति की बैठक में अपेक्षित सहयोग नहीं कर रहे हैं। पदाधिकारियों को दबी जुबान में यही कहते सुना गया कि वह नाराज हैं।
भाजपा के ही एक पदाधिकारी ने बताया कि जिस तरह से उमा के संसदीय क्षत्र में हो रही कार्यसमिति में उनकी उपेक्षा की गई इसे लेकर वह काफी नाराज हैं। कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद उनसे न तो उदघाटन कराया गया और न ही समापन कराया गया। उनको बुलाने के लिए काफी मान मनौवल भी की गई लेकिन वह नहीं आयीं।
पदाधिकारियों की तरफ से हालांकि यह कहा गया कि कार्यसमिति अभी समाप्त नहीं हुई है, कल वह जरूर आएंगी। उमा भारती व योगी आदित्यनाथ के अलावा केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी कार्य समिति में शामिल होने नही पहुंचीं। मेनका को इस बार प्रदेश कार्यसमिति में आमंत्रित सदस्य के तौर पर जगह दी गई थी लेकिन वह बैठक में हिस्सा लेने नहीं आयीं।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक मेनका के पुत्र वरुण गांधी को प्रदेश कार्यसमिति में जगह मिलने की उम्मीद जताई जा रही थी। लेकिन केशव मौर्य ने कार्यसमिति घोषित की तो उनका नाम गायब था। ऐसी अटकलें हैं कि वरूण की उपेक्षा से वह नाराज हैं। इस वजह से कार्य समिति में शामिल होने नहीं पहुंचीं।