सूरत। स्थानीय निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने सूरत महानगर पालिका और जिला पंचायत में शानदार जीत दर्ज की। हालांकि इस जीत के साथ ही भाजपा के कई बड़े नेताओं को हार का भी सामना करना पड़ा।
मनपा बोर्ड में डिप्टी मेयर रंजन वेकरिया को अपनी सीट खोनी पड़ी, वहीं जिला पंचायत जीतने के बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष और भाजपा के बड़े नेता अश्विन पटेल अपनी हार नहीं टाल सके।
गौरतलब है कि स्वराज (स्थानीय निकाय) की सत्ता के लिए 22 और 29 नवंबर को मतदान हुआ था। बुधवार को मतगणना शुरू होने के बाद से ही रुझानों के बार-बार बदलने से असमंजस की स्थिति रही। बार-बार आगे बढऩे और पिछडऩे के बाद दोपहर बाद तक आखिकार साफ हो गया कि भाजपा समानजनक बढ़त के साथ मनपा और जिला पंचायत में जीत दर्ज कर रही है।
कहां किसको कितनी सीटें
सूरत मनपा चुनाव में भाजपा के खाते में 76 व कांग्रेस के हिस्से 40 सीटें आई हैं। शहर के कई वार्डों में भाजपा और कांग्रेस की पूरी पैनल जीती है तो कहीं पैनल भी टूटे हैं। वहीं सूरत जिला पंचायत में 40 में से 27 सीटें भाजपा को, 12 सीटें कांग्रेस को और एक निर्दलीय को मिली। सूरत तहसील की कुल 196 में से 124 सीटें भाजपा, 63 कांग्रेस, 6 निर्दलीय ने जीती। देर शाम को जारी हुए परिणाम के मुताबिक भाजपा ने मनपा बोर्ड की 116 में 76 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस के खाते में 40 सीटें गईं। इस बार एक भी निर्दलीय प्रत्याशी जीत कर बोर्ड में नहीं पहुंचा है।
दिखा पाटीदार आंदोलन का असर
कांग्रेस को अप्रत्याशित रूप से मिली 40 सीटों में पाटीदार आंदोलन का असर साफ दिखा। वर्ष 2010 में कांग्रेस ने मनपा चुनावों में 14 सीटें जीती थीं। बीते कई वर्षों से मतदान के दौरान कांग्रेस को जिन क्षेत्रों में अपनी मेजें लगाने में पसीने छूटते थे, वहां इस बार पार्टी के पूरे पैनल ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस की टिकट पर जीतकर आए कई प्रत्याशियों ने सभी मतगणना स्थल पर जय सरदार-जय पाटीदार के नारे लगाए।