बंगलूरू। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में भूमि अधिग्रहण और इस वर्ष बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव तथा दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हारी के बाद पार्टी की रणनीति पर चर्चा होनी है।
पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ने बताया कि भाजपा और सरकार के लिए सबसे अधिक चिंता का विषय आज भूमि अधिग्रहण और बिहार विधानसभा चुनाव है। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण पर कहीं न कहीं हमारे दांव उलटे पडे रहें हैं। इस विषय पर पदाधिकारियों की बैठक और कार्यकारिणरी की बैठक में चर्चा होगी। कार्यकारिणी में भूमि अधिग्रहण पर सभी सदस्यों से फीड बैक मांगा गाया है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के बल चुनाव लडने के बाद भी मिली करारी हार से भाजपा को अब अपनी चुनावी रणनीति बदलने पर मजबूर कर रही है। पार्टी सूत्रों की माने तो बिहार विधानसभा चुनाव को भाजपा काफी उपहापोह की स्थिति है। पार्टी के सामने वहां सबसे बडी चुनौती दिल्ली के भांति पार्टी की आंतरिक गुटबाजी से निपटना इसके बाद गठबंधन के दलों को खुश करना।
लालू-नीतीश जोड़ी को भी भाजपा हलके में नहीं ले रही है। भाजपा अब पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की ओर भी उम्मीद भरी निगाह से देख रही है। बिहार में भाजपा को सबसे बडी परेशानी है गुटबाजी को दूर करना। पार्टी यदि चुनावों में जीतती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर भी झगड़ा होना तय है।
वर्तमान में भाजपा के समक्ष सबसे बडी समस्या है भूमि अधिग्रहण अध्यादेश। इसको पार पाने में पार्टी कहीं न कहीं सफल नहीं हो पा रही है। इस अध्यादेश को लेकर विपक्षी दलों गठबंधन के दलों के अतिरिक्त पार्टी के अन्दर भी विरोध हो रहा है।
सूत्र की माने तो सरकार इस कानून को लाने की कोई जरूरत ही नहीं थी। इससे पार्टी की छवि किसान विरोधी बनती जा रही है। लोगों के बीच एक ऐसा विचार बन रहा है कि भाजपा बडे उद्योगपतियों की पार्टी बन कर रह गई है। सूत्रों की मानें तो बगंलूरू की कार्यकारिणी में भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर पार्टी का क्या रूख होगा इस पर सबकी निगाह होगी।