सबगुरु न्यूज-सिरोही। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गत सप्ताह सिरोह आगमन पर जीरावला प्रवास पर भाजयुमो के जिला महामंत्री ने उन्हें माल्यार्पण कर साफा पहना दिया। इस पर उन्हें नोटिस का सामना करना पडा। भाजयुमो जिलाध्यक्ष हेमंत पुरोहित ने बताया कि सोशल मीडिया पर इस तरह के फोटो वायरल होने पर उन्हें नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मांगा।
जिले के जीरावला में दो दिन पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रवास पर भाजयुमो जिला महामंत्री प्रकाश रावल ने साफा पहना कर सम्मान किया। इस मौके पर पूर्व विधायक संयम लोढ़ा भी साथ थे और प्रकाश रावल ने साफा पहनाकर उनका भी अभिवादन किया। इधर इस सम्मान को लेकर जिलेभर में चर्चाओं का दौर शुरु हो गया और भाजयुमो जिलाध्यक्ष हेमंत पुरोहित ने जिला महामंत्री रावल को बाकायदा नोटिस थमाया और जवाब मांगा है।
हुआ यूं कि जीरावला में जैन समाज का कार्यक्रम था और उस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं सिरोही पूर्व विधायक संयम लोढ़ा बतौर अतिथि मौजूद थे। भाजपा जिला महामंत्री प्रकाश रावल ने दोनों कांग्रेसी नेताओं को साफा पहनाकर उनका स्वागत किया।
इधर यह तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो भाजयुमो जिलाध्यक्ष हेमंत पुरोहित ने प्रकाश रावल से दूरभाष पर स्पष्टीकरण चाहा तो रावल ने बताया कि वे गांव के सार्वजनिक आयोजन में थे और इस वजह से उन्होंने सम्मान किया। जिलाध्यक्ष पुरोहित ने बताया कि इस संबंध में प्रकाश रावल को नोटिस दिया गया है और उच्च पदाधिकारियों को भी इससे अवगत करवाया गया है। उच्च पदाधिकारियों के निर्देश पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
कितना जायज यह विरोध!
भाजपा सिरोही जिले में फिलहाल दल की जगह दलदल बन गया है। जाति, पैसा और रसूखों के दम पर हर कोई इस पार्टी में सत्ता के काल का अपने हित में दोहन में लग रहा है। यह विवाद भी इसी तरह के प्रयास का हिस्सा नजर आ रहा है। यह भारतीय संस्कृति है कि महिलाएं किसी पुरुष को माला, साफा आदि नहीं पहनाती इसलिए आम तौर पर इस परिपाटी का ध्यान राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संगठन भी रखते हैं।
प्रकाश रावल जिस कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए थे उसमें गांव के लिए ढाई करोड रुपये दानदाता की ओर से दिए जाने की विशेष उपलब्धि का कार्यक्रम था। पूर्व मुख्यमंत्री इसमें अतिथि थे और रावल की पत्नी गांव की जनप्रतिनिधि। परम्पराओं का निर्वहन और गांव के प्रमुख जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि होने के नाते भी तथा गांव का नागरिक होने के नाते भी रावल का गहलोत का स्वागत कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं होना चाहिए। यदि पार्टी ऐसी स्थिति में रावल पर कोई कार्रवाई करती है तो निस्संदेह यह पार्टी की ओर से आमजन में सही संदेश नहीं जाएगा।
एक राजनीतिक पार्टी का पदाधिकारी होने से किसी व्यक्ति का अपने गांव के आम नागरिक और परिवार का मुखिया होने का अधिकार नहीं छिन सकता क्योंकि उसका प्राथमिक कर्तव्य भी इन्हीं के प्रति है। इतना ही नहीं किसी भी पार्टी का वजूद भी पदाधिकारी की गांव के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण पर ही निर्भर है और अपने गांव व घर पर आए अतिथि का सत्कार करने से उसे पार्टीद्रोही का तमगा भी नहीं पहनाना किसी तरह से उचित तो नहीं है।
इसके विपरीत सिरोही में कार्रवाई की आवश्यकता उन लोगों के खिलाफ है जो पार्टी के सिद्धांतों के विपरीत पार्टी की साख को बट्टा लगाने में अनवरत लगे हुए हैं। फिर चाहे वो मूल संगठन के पदाधिकारी हों या अनुशांगिक संगठन के।