मुंबई। अमिताभ बच्चन से लेकर अक्षय कुमार तक बॉलीवुड के नामी सितारे सबसे ज्यादा इनकम टैक्स भरने को लेकर तमाम वाह वाही लूट चुके हैं, फिर भी काले धन के गंभीर मुद्दे को लेकर सरकार की नजरें बॉलीवुड पर लगी हुई हैं।
500 और 1000 के नोटों का चलन बंद करने के सरकारी फरमान के बाद सरकारी अधिकारियों को उम्मीद है कि बालीवुड के निर्माताओं से बड़ी मात्रा में काला धन मिलेगा। सरकार की निगाहों में वे हस्तियां हैं, जो सालों से कोई काम नहीं कर रहे, फिर भी आलीशान जिंदगी जी रहे हैं।
उन लोगों के बारे में धारणा है कि बेनामी कमाई से वे जिंदगी जीते आए हैं। बड़े नोटों का चलन बंद होने से उनकी ये रकम बाहर आने की उम्मीद है। मुंबई के इनकम टैक्स के एक बड़े अधिकारी ने निजी तौर पर अनुमान लगाया है कि 40 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम बाहर आ सकता है।
इस अधिकारी के मुताबिक सरकार के पास बालीवुड के ऐसे लोगों की लिस्ट है, जिन पर शक है कि उनके पास काला धन जमा है और अब इंतजार है कि वे कब अपनी करेंसी लेकर बाहर निकलें, तो उन पर एक्शन लिया जाए। इस लिस्ट में दो सौ से ज्यादा ऐसे लोगों के नाम दर्ज हैं, जिन पर काला धन जमा करने का अंदेशा है।
इन लोगों में कलाकारों से लेकर फिल्म निर्माता, निर्देशक, संगीतकार और गायकों के नाम भी हैं। इस अधिकारी का कहना है कि बहुत सारे ऐसे लोग हमारी निगाह में हैं, जो काफी समय से कोई काम नहीं कर रहे। आमदनी का कोई पुख्ता रास्ता न होने के बाद भी वे महंगी कारों में घूमते हैं और भव्य जिंदगी जीते हैं।
अब ऐसे लोग अपनी छिपी करेंसी लेकर बाहर आएंगे, तो हम उन पर एक्शन लेंगे। एक सीनियर फिल्म मेकर ने कहा कि इनकम टैक्स वालों की नजरें हमेशा से फिल्म वालों पर रहती है। इसमें कोई नई बात नहीं है। ये फिल्म मेकर स्वीकार करता है कि फिल्म इंडस्ट्री में ब्लैक मनी चलती है।
काफी सीनियर लोग इस तरह की रकम से अपनी जिंदगी चला रहे हैं, लेकिन अब इस तरह के लोग ज्यादा नहीं रहे हैं। उनका कहना है कि बॉलीवुड के सीनियर लोगों ने शेयर मार्केट से लेकर रीयल इस्टेट और दूसरे सेक्टरों में पैसा निवेश किया हुआ है, ज्यादातर लोगों की आमदनी वहीं से होती है।
चैक से आने वाला पेमेंट सीधा बैंक में जमा होता है, जहां से मिलने वाला ब्याज भी आमदनी का एक हिस्सा होता है। एक सीनियर कलाकार ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि उसने अपने पांच फ्लैट बेचकर तीन करोड़ से ज्यादा की रकम बैंक में जमा कर दी, जहां से एक लाख से ज्यादा ब्याज मिल जाता है।
एक और निर्माता ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद उसको पुरानी फिल्मों के अधिकारों से पैसा मिल जाता है। खास तौर पर सैटेलाइट राइट्स जिनसे फिल्में टीवी चैनलों पर चलती हैं। ये अधिकार 5 साल के लिए दिए जाते हैं। 5 साल बाद इन अधिकारों को फिर से बेचा जाता है।
पुरानी फिल्मों के म्यूजिक को लेकर भी संगीत कंपनियों से रॉयल्टी मिल जाती है। इस निर्माता ने तंज भरे अंदाज में कहा कि फिल्म इंडस्ट्री हमेशा से असुरक्षा के बोध से घिरी रहती है। यहां कोई भी चीज तय नहीं होती।
यहां जब लोग बेरोजगारी के आलम में घिर जाते हैं, तो कोई आकर नहीं देखता। सरकार तो कभी नहीं देखती, ऐसे में सरकार को हक नहीं है कि हमारी आमदनी पर सवाल करे।