नई दिल्ली। दीपावली के अवसर पर राजधानी दिल्ली के बाजार रंगबिरंगी और आकर्षक मोमबत्तियों और दिए से सज गए है। इस अवसर पर हजारों लोगों के घरों में रंगबिरंगी रोशनी देने वाले इन मोमबत्ती और दिए को बनाने वाले कारीगर स्वयं जीवन भर रोशनी से महरूम हैं I
मोमबत्तियों और दियों को खरीदने के लिए बाजारों में लोगों की भीड़ भी उमड़ने लगी हैI लेकिन बाजारों में बिक रही खुबसूरत और रंगबिरंगी मोमबत्तियों और दियों में, वह मोमबत्ती और दिए भी शामिल हैं, जिन्हें उन लोगों ने बनाया है, जो खुद देख नहीं सकते I
जानकर हैरत होगी के दिवाली पर आम लोगों के घरों को रोशन करने वाली मोमबत्तियों और दियों का निर्माण में नेत्रहीन बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के नेत्रहीन भी शामिल है I
इनकी आखों ने रोशनी की चमक कभी नहीं देखी, उसके बाद भी पिछले कई वर्षों से यह नेत्रहीन घरों को रोशन करने का काम बखूबी करते आ रहे हैं और इनके द्वारा तैयार होने वाला पूरा माल हाथों-हाथ बिक जाता है I
नेत्रहीनों द्वारा बनाये जाने वाले दिवाली उत्पादों की बिक्री के लिए हर साल की तरह इन बार भी दिवाली बाजार लगाया गया हैI दिल्ली स्थित ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन संस्था के परिसर में लगने वाला दिवाली बाजार पिछले चार दशकों से नेत्रहीनों के लिए अपनी दम पर जीने का एक बड़ा जरिया है I
दिवाली बाजार में बिकने वाला अधिकतर साजावटी सामान, संस्था के नेत्रहीन कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है। इनमें मोमबत्ती, दिए, पेपर बैग, लिफाफे, मूर्तियां, आकर्षक लैंप, रंगबिरगी लाइटों वाले झूमर, स्टेशनरी का सामान, गिफ्ट आइटम, घरों को सजाने के पारंपरिक सामान, पारंपरिक शिल्प और डिजाइनर वस्त्र शामिल हैं।
दिवाली बाजार के माध्यम से ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन समाज को नेत्रहीन लोगों की क्षमताओं और उपलब्धियों से अवगत कराती है और जो आय होती है, उसे संस्था नेत्रहीनों की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास में खर्च करती है I
अबकी बार मेले में लगभग 200 से भी अधिक स्टॉल है। स्टॉल लगाने वालों में ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन के अलावा कई स्थानीय विक्रेता भी शामिल होते हैं। मेले में कई अन्य दूसरे गैर सरकारी संगठनों को अपने उत्पादों को बेचने औऱ अपनी सेवाओं के बारे में जानकारी देने के लिए बिना किसी शुल्क के स्थान उपलब्ध कराया जाता है I
ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन के परिसर में आयोजित किए जा रहे दिवाली बाजार में हर वर्ग के लोग, खासकर महिलाएं बड़ी संख्या में आती हैं I जिस उत्पाद की यहां सबसे ज्यादा बिक्री होती है, उसमें मोमबत्ती और दियों के मांग ज्यादा है और हर साल बड़ी संख्या में विभिन्न दूतावास के लोगों के अलावा दिल्ली का एक बड़ा वर्ग और विदेशी इन उत्पादों के नियमित खरीददार हैं I
मोमबत्ती और दिए बनाने का काम दिवाली के तीन माह पहले से शुरू हो जाता है I नेत्रहीन अपनी हुनर से जो उत्पाद तैयार करते हैं, उसके लिए बाकायदा उनको प्रशिक्षित किया जाता है I हर नेत्रहीन में एक खास कौशल एवं प्रतिभा है, जो उनके द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों को देखकर भलीभांति समझा जा सकता है I
इन सभी उत्पादों को बनाने के लिए नेत्रहीन कारीगरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है और प्रशिक्षण और उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया साल भर एसोसिएशन के प्रशिक्षण केंद्र में चलती रहती है I फ़िलहाल दिवाली मेले में पहुंच रही भीड़ के लिए पहली पसंद रंगबिरंगी मोमबत्ती और दिए हैं और इनकी मांग को पूरा करने के लिए नेत्रहीन कारीगर इन दिनों दिन-रात मेहनत कर रहे हैं I