नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को युवा एवं किशोरों द्वारा ऑनलाइन गेम ब्लू व्हेल चैलेंज खेलते हुए खुदकुशी करने की घटनाओं पर हैरानी जताते हुए कहा कि आखिर लोग इससे इतना प्रभावित कैसे हो जाते हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायाधीश सी. हरि शंकर की खंडपीठ गूगल, फेसबुक, याहू सहित सभी इंटरनेट कंपनियों को ब्लू व्हेल चैलेंज से जुड़ी किसी भी तरह की सामग्री को अपलोड करने से रोकने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने मामले की सुनवाई 22 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
रूस के एक सजायाफ्ता व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर विकसित यह गेम खेलने वाले व्यक्ति को मानसिक तौर पर प्रभावित कर लेता है और उसे गेम से जुड़ी चुनौतियों, खुद को क्षति पहुंचाने वाले काम करने और अंतिम चरण के रूप में विजेता बनने के लिए खुदकुशी तक करने के लिए प्रेरित कर देता है। इस गेम के दौरान हर चरण की चुनौती को पूरा करते हुए सबूत के तौर पर उसे फिल्माना भी पड़ता है।
30 जुलाई को मुंबई में एक 14 वर्षीय स्कूली छात्र मनप्रीत सिंह साहनी ने अपने घर की पांचवीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी कर ली, जबकि मणिपुर के एक मंत्री के बेटे की दिल्ली में एक इमारत से कूदने के चलते मौत हो गई। दोनों ही मौतों के पीछे इस ब्लू व्हेल चैलेंज गेम के होने की आशंका जताई जा रही है।
इसके अलावा केरल में भी एक किशोर ने कथित तौर पर ब्लू व्हेल चैलेंज के आखिरी चरण को पूरा करते हुए खुदकुशी कर ली। अदालत ने याचिकाकर्ता पेशे से वकील गुरमीत सिंह से दिल्ली में इस तरह की अन्य घटना के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए कहा है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से दिल्ली पुलिस को एक पांच सदस्यीय विशेष टीम गठित करने का निर्देश देने की भी मांग की है, जो इस बात की जांच करे कि इंटरनेट कंपनियां अदालत के आदेश का पालन कर रही हैं या नहीं।