जयपुर। भारतीय मजदूरी संघ के आह्वान पर शुक्रवार को हजारों मजदूरों ने रैली निकाल कर राज्य सरकार के श्रमिक विरोधी निर्णयों का विरोध किया।
भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय महामंत्री विरजेश उपाध्याय ने राज्य भर से आए मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश की 70 प्रतिशत जनता मजदूर है, जिसके समर्थन से ही वर्तमान सरकार सत्ता में आई है।
परन्तु सत्ता में आने के बाद मजदूरों के हितों को ताक में रखकर केवल पूंजीपतियों के हित चिन्तन में लगी है एवं रिसर्जेंट राजस्थान के नाम पर उनके लिए रेड कार्पेट बिछा रही है।
इस सरकार ने सत्ता में आते ही श्रम कानूनों श्रमिक विरोधी संशोधन श्रम संगठनों से वार्ता किए बिना ही किए है जो कि आईएलओ के निर्देशों के विपरीत है तथा प्रदेश में श्रम कानूनों के दायरे से 90 प्रतिशत उद्योगों, प्रतिष्ठानों को बाहर कर दिया है।
प्रदेश की जनता को विश्वास में लिए बिना प्रदेश के सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में देना उनकों बन्द हो जाने पर मजबर करना जनता के साथ विश्वासघात है।
केन्द्रीय भारतीय मजदूर संघ ने जिन बिन्दुओं पर केन्द्र सरकार से वार्ता कर न्यनतम मजदूरी, बोनस, सातवां वेतन आयोग आदि के आदेश निकलवाए उनको भी राजस्थान सरकार सही रुप से लागू करने में फिसड्डी साबित हो रही है।
भारतीय मजदूर संघ राजस्थान प्रदेश के अध्यक्ष विजय सिंह चौहान ने रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार के श्रमिकों के प्रति नकारात्मक रवैये से श्रमिक आहत है।
सरकार में ब्यूरोक्रेसी हावी है तथा श्रमिकों के वाजिब हकों को देने की बात तो दूर रही, सरकार व उद्यमियों द्वारा ठेका, पीपीपी व फ्रेंचाईजी माध्यम से उनके शोषण का रस्ता साफ कर दिया गया है। रैली को प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष राजबिहारी शर्मा ने रैली ने भी संबोधित किया।
रैली के बाद मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें श्रम कानूनों में एक तरफा संशोधनों को निरस्त, रोडवेज, विद्युत एवं जलदाय विभाग आवश्यक सेवा में आत हैं अतः इनको निजी क्षेत्र में देने व बन्द करने की कार्यवाही रोकने, आंगनबाड़ी कर्मी, आशा, मिड डे मील कर्मी, जल प्रदायकर्मी आदि स्कीम वर्कर्स को राजकर्मी घोषित करने, संविदा कर्मियों को नियमित करने और श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजना पीएफ, ईएसआई एवं ग्रेच्युटी आदि लाभ दिए जाने की मांगे की गई है।