नई दिल्ली। खूबसूरत, चुलबली और जुदा अंदाज वाली जूही चावला ने अपने जीवन के 47 बसंत देख लिए हैं। 13 नवंबर को जन्मी जूही चावला किसी परिचय की मोहताज नहीं है। बढ़ती उम्र के साथ जूही की खूबसूरती कम नहीं हुई है, बल्कि वह दिन-ब-दिन और निखरती जा रही हैं। 1984 में “मिस इंडिया” के खिताब से शोहरत पाने वाली जूही आज अभिनेत्री से लेकर फिल्म निर्माता तक का सफर तय कर चुकी हैं। करियर ही नहीं, जूही पारिवारिक जिंदगी भी पूरे लुत्फ के साथ जी रही हैं।…
पंजाब के अंबाला में 13 नवंबर 1967 को चावला परिवार में जन्मीं जूही दिल्ली होते हुए मुंबई पहुंची। पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं जूही की फिल्मों में आने की कोई योजना नहीं थी, वह संयोग से ही अभिनेत्री बनी।
उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान यूं ही फेमिना मिस इंडिया के लिए फॉर्म भरा था और किस्मत देखिए कि आखिरकार उन्होंने ही यह खिताब जीता। एक साक्षात्कार में जूही ने मिस इंडिया बनने का अपना किस्सा सुनाते हुए बताया था कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं मिस इंडिया प्रतियोगिता जीतूंगी। वहां मुझसे खूबसूरत लड़कियां थीं।
इसके बाद जूही मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता के लिए भी गई थी। यह जूही की पहली विदेश यात्रा थी। जूही ने साक्षात्कार में बताया था कि मैं पहली बार विदेश जा रही थी। दुनिया भर की खूबसूरत और आकर्षक महिलाओं के बीच खुद को बेकार महसूस कर रही थी। जूही ने मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में बेस्ट नेशनल कॉस्टयूम का भी पुरस्कार जीता था।
इसके बाद शुरू हुआ जूही का रूपहले पर्दे का सफर। जूही ने मल्टीस्टारर फिल्म “सल्तनत” से अपना फिल्मी सफर शुरू किया। 1988 में आमिर खान के साथ आई जूही की फिल्म “कयामत से कयामत तक” ने बड़े पर्दे पर जबदस्त सफलता हासिल की और रातों रात जूही की गिनती उस समय हिंदी सिनेमा पर राज करने वाली श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर की श्रृंखला में की जाने लगी।
इस फिल्म को फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का खिताब मिला और जूही को फिल्म के लिए बेस्ट न्यूफेस का पुरस्कार मिला। जूही को असफलता का सामना भी करना पड़ा। करियर की शुरूआत में उन्होंने मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया।
1990 का दशक जूही के लिए काफी अच्छा रहा इस दशक में 1990 में “प्रतिबंध” और “स्वर्ग”, 1992 में “बोल राधा बोल” और “राजू बन गया जेंटलमैन” जैसी हिट फिल्में दीं। साल 1993 जूही के नाम रहा इस साल जूही की सन्नी देओल के साथ में आई “लुटेरे” जैकी श्रॉफ के साथ यश चोपड़ा की “आईना”, शाहरूख के साथ महेश भट्ट की रोमांटिक कॉमेडी “हम हैं राही प्यार के” और शाहरूख और सन्नी देओल के साथ यश चोपड़ा की “डर” बॉक्स आफिस पर जबरदस्त हिट रहीं। इसके अलावा 1994 में “साजन का घर”, 1997 में “यशबॉस” और “इश्क”, 1999 में “अर्जुन पंडित जैसी फिल्में भी सफल रहीं।
इस दौरान जब जूही अपने करियर की ऊंचाइयां छू रहीं थीं, दूसरी ओर उनके व्यक्तिगत जीवन में उन्हें कई बड़े झटके लगे, जिनसे वह टूट गई। 1998 में जब वह “डुप्लीकेट” की शूटिंग पर थीं, उनकी मां मोना का एक दुर्घटना में निधन हो गया। इसके बाद उनके पिता का भी लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वर्ष 2010 में उनके भाई बॉबी स्ट्रोक पड़ने के बाद कोमा में आ गए। इसी साल नौ मार्च को उनका निधन हो गया।
निजी जिंदगी और पेशेवर जिंदगी में इतने उतार-चढ़ावों के बावजूद जूही चेहरे पर मुस्कान लिए आगे बढ़ती रहीं। 2000 के दशक में जूही ने व्यावसायिक फिल्मों से हटकर आर्ट फिल्में और स्वतंत्र फिल्में करनी शुरू कीं। फिल्म “3 दीवारें” के लिए उन्हें स्टार स्क्रीन सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार भी मिला। इसके अलावा उनकी “माई ब्रदर निखिल” और “झंकार बीट्स” को भी आलोचकों ने सराहा।
जूही रवि चोपड़ा की “भूतनाथ” में नजर आई। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। उन्होंने “के्रजी4” और “लक बाई चांस” में भी अभिनय किया। इसके बाद अभिनेत्री जूही ने निर्माता बनने की ओर कदम बढ़ाया और शाहरूख खान, अजीज मिर्जा के साथ “ड्रीम्ज अनलिमिटेड” बैनर के तले 2001 में “फिर भी दिल है हिंदुस्तानी”, 2001 में “अशोका” बनाई लेकिन इस बैनर तले बनी निर्माता जूही की “चलते-चलते” जबरदस्त हिट रही।
इसके अलावा उन्होंने “शहीद ऊधम सिंह” (2000), “देश होया परदेश” (2004), “वारिस शाह : इशक दा वारिस” (2006) और “सुखमणि” (2010) में जैसी पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया। लंबे समय के बाद इस साल रिलीज हुई फिल्म “गुलाब गैंग” में पहली बार माधुरी दीक्षित के साथ वह नजर आई। पहली बार खलनायक अवतार में उतरी जूही ने फिल्म में लाजवाब अभिनय किया।
इतनी सफल फिल्में करने के बावजूद जूही को करियर में “दिल तो पागल है”, “राजा हिंदुस्तानी” फिल्मों से इंकार करने का पछतावा है। अपने करियर में शाहरूख और आमिर के साथ जबरदस्त हिट फिल्में देने वाली जूही सलमान के साथ फिल्म भी एक फिल्म करना चाहती हैं।
विज्ञापनों में भी जूही की खास उपस्थिति रही है। उन्होंने “डाबर आंवला केश तेल” का लंबे समय तक विज्ञापन किया है। इसके अलावा उन्होंने डाबर आशोकारिष्ट, किसान केचअप, कीलॉग्ज चॉकोज जैसे उत्पादों के विज्ञापन किए। जूही का कुरकुरे के विज्ञापन काफी पसंद किए गए, जिनमें वह कई नए अवतारों में नजर आई थीं।
जूही ने 1995 में व्यवसायी जय मेहता से शादी की। दोनों के दो बच्चे जाह्नवी मेहता और अर्जुन मेहता हैं। जूही फिल्मों, विज्ञापनों, सामाजिक कार्यो, फैशन शो में सक्रिय रहते हुए अपने परिवार के साथ जिंदगी का पूरा लुत्फ उठा रही हैं।