मुंबई। अनुराग कश्यप, श्रीराम राघवन और दिवाकर बनर्जी सहित कई हिंदी फिल्म निर्माताओं ने इस साल ऑफ बीट निर्देशकों का ठप्पा छोड़ा और बड़े बजट की बॉलीवुड फिल्मों का रूख कर लिया।
ऑफ बीट छोड़ कर कमर्शियल फिल्मों से जुडऩे की शुरूआत नवदीप सिंह की ‘एनएच 10’ से हुई जिसमें अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म के निर्माता नवदीप ने 2007 में कमर्शियल थ्रिलर ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’ का निर्देशन किया था जिसमें आय देयोल मुख्य भूमिका में थे।
दूसरे कमर्शियल प्रोजेक्ट तक पहुंचने में नवदीप को करीब 8 साल लगे। ‘एनएच 10’ बॉक्स ऑफिस पर सफल रही और आलोचकों ने भी इसे सराहा। न सिर्फ निर्माता निर्देशकों ने बल्कि कलाकारों ने भी राह बदली।
‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’ में विशेष भूमिका में नजर आए नवाजुद्दीन सिद्दिकी को इस साल ‘बदलापुर’ में एक समानांतर प्रमुभ भूमिका में देखा गया। श्रीराम राघवन ने ‘बदलापुर’ के जरिये कम बजट से वाणिज्यिक सिनेमा का रूख किया।
इससे पहले उन्होंने सैफ अली खान, करीना कपूर अभिनीत ‘एजेंट विनोद’ बनाई थी जो बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही।
राघवन ने एक बार कहा था कि फिल्म जितनी बड़ी होगी, उसमें विषय से भटकने का खतरा भी उतना ही बड़ा होगा। मैंने बड़े बजट वाली एजेंट विनोद बनाई लेकिन वह कारगर नहीं रही। जितनी बड़ी फिल्म होती है, उसमें उतनी ही चीजों को डालने की कोशिश की जाती है।
‘बदलापुर’ ‘एजेंट विनोद’ से छोटी फिल्म थी जिसमें वरूण धवन और नवाजुद्दीन मुख्य भूमिकाओं में थे। दर्शकों और आलोचकों दोनों की सराहना बटोरते हुए फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। कमर्शियल सिनेमा की राह पकड़ते हुए दिवाकर बनर्जी ने ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी’ बनाई।
लंबे समय तक ‘यश राज फिल्स’ से जुड़े रहे बनर्जी की फिल्म में यह भावना झलकती है। ‘शंघाई’, ‘लव सेक्स और धोखा’, ‘भोसला का घोसला’ बना चुके बनर्जी के लिए ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी’ इन सबसे बड़ी पीरियड थ्रिलर थी।
इसे कोलकाता की पृष्ठाूमि में दूसरे विश्व युद्ध के समय लोगों के जीवन की झलक दिााई गई। फिल्म को मिलीजुली प्रतिक्रिया मिली और बॉक्स ऑफिस ने भी उसका साथ नहीं दिया।
निर्देशक अनुराग कश्यप की ड्रीम प्रोजेक्ट कहलाने वाली ‘बॉबे वेलवेट’ बॉक्स ऑफिस पर चारों खाने चित हो गई। रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा और पहली बार पूर्णकालिक भूमिका में आए करण जौहर, अंतरराष्ट्रीय तकनीशियन, विदेशी लोकेशन और जैज संगीत का जादू काम नहीं कर पाया।
‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘गुलाल’ जैसी छोटे बजट की हिट फिल्में बनाने वाले अनुराग ने पहली बार महंगी ‘बॉबे वेलवेट’ बनाई और अपने हाथ जला बैठे।
राघवन, नवदीप और कश्यप तीनों ने वर्ष 2007 में कम बजट वाली फिल्में क्रमश ‘जॉनी गद्दार’, ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’ और ‘नो स्मोकिंग’ बनाई थी।
ऐसा ही अंजाम हुआ निर्देशक विकास बहल का जिन्होंने ‘क्वीन’ की अपार सफलता के बाद ‘शानदार’ का निर्देशन किया।
‘क्वीन’ के निर्माता कश्यप थे और फिल्म में मुख्य भूमिका कंगना रनौत ने निभाई थी। ‘शानदार’ का निर्माण कश्यप ने जौहर की धर्मा प्रोडक्शन्स के साथ मिल कर किया।
शाहिद कपूर, आलिया भट्ट, पंकज कपूर जैसे बड़े नामों वाली इस फिल्म की लोकेशनें शानदार थीं और संगीत भी खासा लोकप्रिय हुआ। लेकिन ‘शानदार’ अपने नाम के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई न ही उसकी शानदार समीक्षा हुई।