नई दिल्ली। बॉलीवुड में कॉमिक किरदारों से अपनी अलग पहचान बनाने वाले असरानी का मानना है कि बतौर कलाकार एक अभिनेता को रंगमंच पर अभिनय में जो मजा आता है वह फिल्मों में नहीं।
असरानी यहां लव-कुश रामलीला में शिरकत करने के लिए आएं हैं। असरानी से कहा फिल्मों के काम के दौरान मेरे सामने सिर्फ कैमरा और निर्देशक का निर्देश होता है, लेकिन जब हम रंगमंच पर अभिनय कर रहे होते है तो सामने दर्शक होते है और वहां तुरंत प्रतिक्रिया आती है। इस प्रतिक्रिया से अभिनय में काफी सुधार आता है। आपको तुरंत पता चल जाता है कि दर्शक आपकी अभिनय को पसंद कर रहे है या नहीं।
‘शोले’ में जेलर के किरदार से वाह वाही लूटने वाले इस कलाकार ने कहा हॉलीवुड के ज्यादातर सितारों को ब्रॉडवे (एक प्रकार का रंगमंच) पर आना पड़ता है। रिचर्ड बर्टन और मार्लन ब्रांडो जैसे अभिनेता भी अपने दौर में फिल्मों के साथ साथ ब्रॉडवे थिएटर पर काम करते रहे है। रिचर्ड बर्टन तो ‘क्लीओपेट्रा’ जैसी बेहतरीन फिल्म करने के बाद ब्रॉडवे पर आए थे।
रामलीला में इस बार सुबाहु का किरदार निभा रहे असरानी ने कहा मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं कि रामलीला के ऐसे मंच पर मुझे अभिनय करने का मौका मिल रहा है जहां सामने हजारों की संख्या में दर्शक होंगे।
उन्होंने कहा कि बॉलीवुड के बड़े सितारे पैसों के कारण रंग मंच पर आने से बचते है, क्योंकि फिल्मों में काफी पैसा मिलता है लेकिन रंगमंच के कलाकारों को ज्यादा पैसा नहीं मिलता।
असरानी ने कहा मैंने पिछली बार रामलीला में नारद का किरदार निभाया था और इस बार सुबाहु का किरदार निभा रहा हूं जोकि नाकारात्मक है, लेकिन रामलीला में उसका अहम रोल है। दर्शकों के लिए भी मुझे राक्षस का किरदार में देखना खास होगा।