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रोहिड़ा (सिरोही)। थाना क्षेत्र के भारजा फायरिंग रेंज में सेना की फायरिंग रेंज सुप्त पड़े हुए बम के ब्लास्ट होने से दो लोगों की मौत हो गई। इस ब्लास्ट में दम्पती की मौत की जानकारी मंगलवार रात को उस समय लगी जब उनके परिजन उन्हें ढूंढते हुए फायरिंग रेंज में पहुंचे और वहां पर उनके क्षत विक्षत शव पडे मिले।…
जानकारी के अनुसार भारजा के सावटा फली के सूरिया (45)पुत्र लसना तथा उसकी पत्नी मणि (40) ६ अक्टूबर को सवेरे करीब दस बजे अपने घर से खाना खाकर लकडिय़ां बिनने के लिए निकले। लकडिय़ा बिनते हुए वह फायरिंग रेंज में पहुंच गए। रेंज में उन्हें मिसफायर हुए रॉकेट लॉन्चर के तीन बुलेट मिल गए। इस बुलेट में से तांबा निकालने के लिए इसे तोडने के लिए उस पर कुल्हाड़ी से वार किया होगा, इसी दौरान इसमें विस्फोट हो गया और दोनो पति-पत्नी की मौके पर ही मौत हो गई।
ब्लास्ट की तीव्रता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि मृतकों के शरीर के चिथडे उड़ गए थे। उनके शरीर के अंग २४ घंटे से भी ज्यादा समय तक पड़े-पड़े सड़ गए थे। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक डॉ राजीव पचार, एएसपी संजय गुप्ता, एसडीएम जितेन्द्र पाण्डे, तहसीलदार चैनसिंह, रोहिड़ा थानाधिकारी किशनदास आदि फायरिंग रेंज में पहुंच गए।
पखवाडे पहले हुए थी फायरिंग
भारजा के पास ही आर्मी की बड़ी फायरिंग रेंज है। यहां पर उदयपुर व माउण्ट आबू के आर्मी की बटायिलनें फायरिंग प्रेक्टिस करती है। रोहिड़ा थानाधिकारी किशनदास ने बताया कि अभी 15-20 दिन पहले ही माउण्ट आबू और उदयपुर की बटालियनों ने यहां फायरिंग की थी। इस दौरान रॉकेट लॉन्चर से मिसफायर हुए बुलेट यहीं छूट गए।
उदयपुर से आएगी डिफ्यूजिंग टीम
घटनास्थल पर रॉकेट लॉन्चर के बुलेट की दो मिसफायर शेल और मिली है। ब्लास्ट की सूचना मिलने पर माउण्ट आबू आर्मी सेंटर से अधिकारी यहां पर पहुंचे। इन लोगों ने मौका मुआयना करके शेष मिसफायर शेल की भी जानकारी ली। ब्लास्ट होने से रहे गए दो शेल को डिफ्यूज करने के लिए गुरुवार को उदयपुर से आर्मी का बम स्क्वायड यहां पर पहुंचा।
कबाड़ बनता है जानलेवा
भारजा की फायरिंग रेंज में फायरिंग के बाद बमों व बुलेट के शेल पड़े रहते हैं। यह शेल पीतल, ताम्बे और लोहे के होते हैं। यह इतनी मात्रा में होते हैं कि इन्हें बेचने से गरीब आदिावासियों को पर्याप्त राशि मिल जाती है। इसी लालच में यह लोग खतरे से अनजान होकर इस फायरिंग रेंज में घुस जाते हैं और जान गवां देते हैं या घायल हो जाते हैं।
नहीं आती आवाज
फायरिंग रेंज रिहायशी इलाकों से इतनी दूर है कि फायरिंग होने और ब्लास्ट होने की आवाज तक किसी इंसान के कानों तक नहीं पहुंच पाती। ऐसे में 6 अक्टूबर को भी ब्लास्ट होने की आवाज किसी को सुनाई नहीं पड़ सकी और मृतकों के शव के टुकड़े फायरिंग रेंज में बिखरे पड़े रहे।
पहले भी जा चुकी है जानें
भारजा फायरिंग रेंज में पड़े बमों में विस्फोट से पहले भी मौतें हो चुकी हैं। वर्ष 2008 में इसी फायरिंग रेंज में कोयला बनाते समय लगाई गई आग में यहां पड़ा बम फट गया था, इस घटना में छह जनों की मौत हो गई थी। इसी तरह वर्ष 2010 मे भारजा में एक कबाड की दुकान में इस फायरिंग रेंज से उठाकर लाए गए बम के शैल को तोडकर धातु निकालने के चक्कर में हुए ब्लास्ट में कबाड़ी समेत दो जनों की मौत हो गई थी।