कानपुर। भोपाल ट्रेन ब्लास्ट व लखनऊ में कानपुर निवासी आईएस आतंकी के मारे जाने के साथ शहर से सात आतंकी पकड़े गए। जिसके बाद से शहरवासियों में खौफ साफ देखा जा रहा है। दो दिन बाद मेडिकल कॉलेज में बम ब्लास्ट होने से एक बार फिर लोग खौफ के साये में जीने को मजबूर हो गए।
जीवीएस मेडिकल कॉलेज के सर्वेंट क्वार्टर पी तीन कॉलोनी में डॉ. अवधेश दीक्षित के सामने सीशम के पेड़ है। पेड़ के पास सुरेश हंसराज अपने परिवार के साथ रहते हैं। हंसराज की बेटी रेशमी ने बताया कि पिता दोपहर 12 बजे पेड़ों से गिरी पत्तियों को इकठ्ठा कर जला रहे थे तभी तेज धमाका हुआ और पिता पांच फुट दूर गिरे।
इसके साथ ही सामने रहने वाले मेघनाथ का 12 वर्षीय लड़का आकाश भी 20 फुट दूर जा गिरा। मेघनाथ ने बताया कि कूड़ा जलता देख बेटा वहां जा पहुंचा और बम के विस्फोट होने से घायल हो गया। दोनों परिवारों में रो-रोकर बुरा हाल है। दोनों का इलाज हैलट अस्पताल के आईसीयू में चल रहा है। इलाज कर रहें डाक्टरों ने बताया कि दोनों खतरे से बाहर हैं।
सुरेश के हांथ में गंभीर चोट लगी है और आकाश के छाती व चेहरा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। बम ब्लास्ट की सूचना पर आनन-फानन में थाना पुलिस, एलआईयू व बीडीएस की टीम पहुंची। बीडीएस टीम ने बम के अवशेषों को इकठ्ठा कर जांच के लिए सुरक्षित रख लिया।
इंस्पेक्टर संजय कुमार सिंह ने बताया कि ब्लास्ट कैसे हुआ यह तो जांच को विषय है। पर जिस जगह पर ब्लास्ट हुआ है वह बेहद ही चिंतनीय विषय है। आलाधिकारियों को पूरी घटना से अवगत करा दिया गया है। जांच कर दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एसएसपी आकाश कुलहरि ने बताया कि विस्फोटक की जांच की जा रही है, जांच में पता चलेगा कि यह किस स्तर का विस्फोटक था। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है हालांकि विस्फोट को देखते हुए शहर में अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
आग की तरह फैली खबर लखनऊ में कानपुर निवासी आईएसआईएस आतंकी सैफुल्लाह की मुठभेड़ के दौरान हुई हत्या के बाद एटीएस ने यहां से सात संदिग्धों को उठाया। अभी जांच चल ही रही थी कि दो दिन बाद मेडिकल कॉलेज में बम ब्लास्ट हो गया। ब्लास्ट की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई और हर जगह चर्चा का बिन्दु बन गया।
लोगों को आशंका है कि यह बम आईएसआईएस आतंकियों का ही है। नाम न बताने के शर्त पर स्थानीय लोगों ने बताया कि कई दिनों से यहां पर कुछ संदिग्ध आस-पास देखे गयें हैं। बताया गया कि नवाबगंज की तरफ से ऐसे लोग बाउंड्री पार कर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश कर जाते हैं।
मेटल प्लेट व मिले नंबर स्थानीय लोगों ने बताया कि बीडीएस ने ब्लास्ट बम को जब उठाया तो उसमें मेटल प्लेट व नंबर की बात कर रहे थे। एलआईयू के एक अफसर ने भी इस बात की पुष्टि की कि यह सुतली बम नहीं था। ऐसे बमों का इस्तेमाल आतंकी ही करते हैं, यह अलग बात है कि इसकी क्षमता कम थी और खुले में ब्लास्ट होने के चलते ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।