मुंबई। मुंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हाजी अली दरगाह के अंदर महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटा दी है।
अब महिलाएं भी हाजी अली दरगाह की मजार तक जा सकेंगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से दरगाह जाने वाली महिलाओं को सुरक्षा दिए जाने के निर्देश भी दिए हैं।
फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान इस बात की इजाजत देता है। महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लघंन है। इसी आधार पर महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटा दी गई है।
वहीं हाजीअली दरगाह ट्रस्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का निर्णय लिया है। एमआईएम के सदस्य हाजी रफत हुसैन ने फैसले का विरोध करते हुए कहा कि हाई कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेर नहीं करना चाहिए था।
महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ रहीं तृप्ति देसाई ने इस फैसले को बड़ी जीत करार दिया है। उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं के खिलाफ कोई भी भेदभाव नहीं है।
हाजी अली की दरगाह मुंबई के वरली तट के पास टापू पर स्थित एक मस्जिद है, जिसमें दरगाह भी है। इसका निर्माण सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की स्मृति में 1431 में बनाया गया था।
2011 तक महिलाओं के प्रवेश पर यहां कोई पांबदी नहीं थी लेकिन 2012 में दरगाह प्रबंधन मे यह कहते हुए महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी कि शरिया कानून के मुताबिक महिलाओं का कब्रों पर जाना गैर-इस्लामी है।