नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश जोशी उपाख्य भैय्याजी ने कहा है कि भगवा ध्वज को राष्ट्र ध्वज मानना ग़लत नहीं है क्योंकि तिरंगा बाद में बना है। भगवा ध्वज प्राचीन काल से इस राष्ट्र के प्रतीक के रूप में श्रद्धा का स्थान रखता है।
सरकार्यवाह भैय्याजी ने मुंबई के दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि 1947 में संविधान द्वारा राजकीय ध्वज के रूप में स्वीकार किए गए तिरंगे का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है।
उन्होंने कहा कि हम बुलबुले हैं इसके यह गुलिस्तां हमारा यह गाना हमें मंजूर नहीं है क्योंकि यदि यह गुलिस्तां मिट गया तो भी हम यहीं रहेंगे।
सरकार्यवाह ने कहा कि जन गण मन से वह भाव पैदा नहीं होता जो वंदे मातरम से होता है। जण-गण-मन में राज्य की परिकल्पना प्रगट होती है तो वन्देमातरम् में राष्ट्र की।
भारत माता की जय को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि जो इस भूमि को मां मानते हैं वे ‘भारत माता की जय’ कहते हैं। वहीं जो इस भूमि को भोगभूमि मानते हैं वे ही ‘भारत माता की जय’ कहने से इंकार करते हैं। देश में भाईचारे के साथ रहने के लिए भारत माता की जय बोलना जरूरी है।
भैय्याजी ने कहा कि देश-राज्य-राष्ट्र तीनों का अलग-अलग अर्थ है,परंतु अंग्रेज़ों ने इसमें भ्रम उत्पन्न किया। राज्य आवश्यक सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने वाली राजनीतिक इकाई है जो समय के अनुरूप बदलती रहती है।
देश भौगोलिक इकाई होने के कारण इसकी सीमा छोटी-बड़ी होती रहती हैं। राष्ट्र हजारों वर्षों में स्वयं विकसित हुई एक सांस्कृतिक जीवनशैली होती है,जो कभी नहीं बदलती।
भैय्याजी ने कहा कि नागरिकता कानून के द्वारा प्राप्त की जा सकती है,पर देश के साथ माँ-पुत्र के संबंध की अनुभूति रखने वाला ही राष्ट्रीय होता है।
एक राष्ट्र में अनेक राज्य और एक राज्य में अनेक राष्ट्र हो सकते हैं। भारत एक नया देश बन रहा है यह भी अंग्रेजों द्वारा फैलाया भ्रम है। भारत प्राचीन राष्ट्र है।