नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने समाचार चैनल एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय रॉय के आवासीय परिसरों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो की छापेमारी के बाद मीडिया की स्वतंत्रता की लड़ाई में शुक्रवार को पत्रकारों से मंत्रियों का बहिष्कार करने की अपील की।
सीबीआई छापेमारी को मीडिया पर ‘खुला दबाव’ बनाने की रणनीति करार देते हुए विख्यात पत्रकार शौरी ने कहा कि प्रेस की आजादी की लड़ाई में असहयोग तथा मंत्रियों का बहिष्कार अहम तरीका है।
राष्ट्रीय राजधानी में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में शौरी ने कहा कि सरकार की मंशा सार्वजनिक जीवन के सभी मंचों पर धीर-धीरे अपना प्रभुत्व कायम करने की है।
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वे एक दूसरे को सही या गलत ठहराने में न उलझें और उन्हें बांटने का वे विरोध करें। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार का हिस्सा रहे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नेता ने कहा कि वे प्रेस को बांटना चाहेंगे।
उन्होंने याद दिलाया कि जब राजीव गांधी की सरकार मानहानि विधेयक लाई थी, तब पत्रकारों ने फैसला किया था कि वे प्रेस वार्ता के दौरान हर मंत्री से पूछेंगे कि वह विधेयक का समर्थन करते हैं या नहीं। अगर मंत्री का जवाब ‘हां’ होगा तो संवाददाता प्रेस वार्ता से बाहर निकल जाएंगे।
शौरी ने कहा कि प्रेस की आजादी के लिए लड़ाई का तरीका मंत्रियों का बहिष्कार तथा उनके साथ असहयोग है। उन्होंने कहा कि अपने कार्यक्रमों में उन्हें नहीं बुलाइए।
शौरी ने पत्रकारों से कहा कि वे अपने उन कामों को दोगुना कर दें जिनसे सरकार नाराज होती है। उन्होंने कहा कि समाचार को सरकार दबाना चाहती है, आप उसे खोद निकालें।
इस सप्ताह सीबीआई ने कथित तौर पर एक निजी बैंक को वित्तीय नुकसान के मामले को लेकर प्रणय रॉय के आवासीय परिसरों पर छापेमारी की थी।
पत्रकारों के विरोध के बीच एनडीटीवी ने कहा कि बेबुनियाद आरोपों के आधार पर सीबीआई ने एनडीटीवी तथा उसके प्रमोटरों के उत्पीड़न को तेज किया है और छापेमारी ‘प्रेस की आजादी पर खुला राजनीतिक हमला’ है।
हालांकि, सीबीआई ने अपनी कार्रवाई को यह कहते हुए जायज ठहराया है कि उसने जो कुछ भी किया, वह कानून के दायरे में रहकर किया है। एजेंसी ने यह भी कहा है कि वह प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान करती है।