रियो डी जेनेरियो। भ्रष्टाचार के मामले में घिरी ब्राजील की पहली महिला राष्ट्रपति दिल्मा रौसेफ का साथ देश की सबसे बड़ी पार्टी ‘द फ्रेकटिएश ब्राजील डेमोक्रेटिक मूवमेंट’ ने छोड़ दिया है। इससे राष्ट्रपति रौसेफ के खिलाफ महाभियोग चलाए जाने की संभावना बढ़ गई है।
मंगलवार को पार्टी नेताओं ने थोड़े समय में ही एकमत होकर सरकार से अलग होने का निर्णय ले लिया। पीएमडीबी ने अपनी पार्टी के सात मंत्री और अन्य पदों पर बैठे नेताओं को भी पद छोड़ने को कह दिया है। सरकार से अलग होने के बाद पीएमडीबी नेता महाभियोग के लिए वोट कर सकेंगे।
इससे रौसेफ अलग-थलग पड़ गई हैं। संभावना है कि कांग्रेस मई तक उन्हें कार्य से निलंबित कर दे ताकि सीनेट उनकी स्थाई बर्खास्तगी पर विचार कर सके। उनके बाद देश की कमान उपराष्ट्रपति मिचेल टेम्बर पीएमडीबी नेता के हाथ में चली जाएगी।
टेम्बर का कहना है कि वह चाहते हैं कि महाभियोग की प्रक्रिया तेज हो और उन्हें जिम्मेदारी मिले ताकि व्यापार जगत में फिर से देश की आर्थिक स्थिति को सुधरने का विश्वास पैदा हो। वहीं राष्ट्रपति रौसेफ ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है और महाभियोग के प्रयासों को उनकी श्रमिक पार्टी (पीटी) को सत्ता से बेदखल करने की साजिश बताया है।
उल्लेखनीय है कि ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा के विरुद्ध भ्रष्टाचार की जांच ने देश में राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है। जांचकर्ताओं का आरोप है कि अवैध रूप से एक सरकारी कंपनी पेट्रोब्रास से धन की निकासी की गई और आवास खरीदा गया जिसे लूला और उनकी पार्टी राजनीतिक षड्यंत्र बता रही है।
यह घोटाला लूला तथा उनकी उत्तराधिकारी वर्तमान राष्ट्रपति दिल्मा रौसेफ के वामपंथी राजनीतिक दल, वर्कर्स पार्टी बनाम कई दलों सहित लोकप्रिय जनआंदोलनों से निर्मित विपक्ष के बीच एक भीषण राजनीतिक संघर्ष का केंद्र भी बन चुका है।
रौसेफ को पदच्युत करने की मांग को लेकर सरकार विरोधी समूहों ने 13 मार्च को प्रदर्शन किया था। इसी बीच अर्थव्यवस्था में गिरावट को रोक पाने में असफल रहने के लिए भी विपक्ष राष्ट्रपति दिल्मा रौसेफ से पद छोड़ने की मांग कर रहा है।
आरोप है कि 2014 में राजकोषीय घाटे की सही रकम छिपाने के लिए लेखा कार्य से जुड़ी तिकड़मों का सहारा लिया गया। वहीं दूसरी ओर निर्वाचन अदालत इस आरोप की छानबीन कर रही है कि क्या 2014 में रौसेफ के पुनर्निर्वाचन मुहिम के लिए पेट्रोब्रास तेल कंपनी से पैसे निकाले गये थे।
ऐसा पाया गया, तो अदालत उस निर्वाचन को रद्द कर फिर से निर्वाचन का आदेश दे सकती है जिसके बाद वर्कर्स पार्टी के किसी उम्मीदवार की हाल लगभग निश्चित है।