जयपुर। खान विभाग में महाघूस कांड के प्रमुख आरोपी प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवीं केन्द्र की नई खनिज नीति के तहत राजस्थान के आठ जिलों में केन्द्रीय प्रक्रिया के अनुसार पहली बार होने वाली मेजर मिनरल की नीलामी प्रक्रिया में भी दखल देने के लिए सक्रिय थे। पिछले एक पखवाड़े से सिंघवी इस काम में जुटे हुए थे।
बताया जाता है कि सिंघवी ने इस काम के लिए दिल्ली में खनिज मंत्रालय तक अपने संबंध मजबूत बनाए हुए थे। जानकारों का कहना है कि सिंघवी को यदि रिश्वतखोरी के मामले में तुरंत नहीं पकड़ा जाता तो प्रदेश में निवेश के नाम पर यह अधिकारी करोड़ों रूपए अपनी जेब में भरने की पूरी तैयारी में था।
अति भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार सिंघवी का खेल उजागर कराने में खान विभाग में ही तैनात रहे एक आईएएस अधिकारी की अहम भूमिका रही है। इस अधिकारी के निदेशक रहते सिंघवी अपनी वरिष्ठता का हवाला देते हुए खान आवंटन में अपना दखल देने की कोशिश करते रहे लेकिन ईमानदारी के लिए पहचाने जाने वाले यह आईएएस अधिकारी सिंघवी के कारनामों पर नजर रखे हुए थे।
सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अधिकारी इस सूचना के आधार पर दिल्ली में भी सिंघवी की मदद करने वाले अधिकारियों की भूमिका की जांच करेंगे। इतना नहीं खान आवंटन कराने के साथ ही सिंघवी खान मालिकों को वन एवं पर्यावरण विभाग की एनओसी दिलाने तक में सहायता करते थे। इसके लिए अलग से फीस तय की हुई थी।
एसीबी की टीम इस दिशा को ध्यान में रखते हुए भी जांच कर रही है। इसके लिए दिल्ली तक सिंघवी के संपर्कों की तलाश की जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि दिल्ली तक संपर्क मिल जाने पर सिंघवी का घोटाला और भी बड़ा हो सकता है। दिल्ली स्थिति राजस्थान भवन में उनके प्रवास के दौरान कौन-कौन अधिकारी और कंपनियों के लोग उनसे मुलाकात करने आते थे, इसका भी रिकार्ड निकलवाया जा रहा है। पता चला है कि इसके सीसीटीवी कैमरों की मदद ली जा रही है।
गौरतलब है कि केन्द्र की नई खनिज नीति अमल में आने के बाद प्रदेश में पहली बार मेजर मिनरल की खानों की नीलामी राज्य सरकार के बजाय केन्द्र सरकार के स्तर पर केन्द्र सरकार की कंपनी मेटल स्के्रप ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से की जाएगी।
इसके लिए चित्तौडग़ढ़ सहित प्रदेश के सात जिलों में मेजर मिनरल के 17 ब्लॉकों को सर्वे के बाद अंतिम रूप दे दिया गया है। जिन 17 ब्लॉक की नीलामी होनी है, उनमें से 10 ब्लॉक तो महज लाइम स्टोन के हैं। इनका मूल्य राज्य सरका द्वारा तय किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार सिंघवी पिछले एक पखवाड़े से दिल्ली में इस काम के लिए सक्रियता बनाए हुए थे। उन्होंने आधा दर्जन कंपनियों को नीलामी में मदद का विश्वास भी दिलाया हुआ था। बताया जाता है कि सिंघवी अपने जेब भरो खेल के पीछे प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए अपने प्रयास बताते रहे हैं।