नई दिल्ली। स्टिंग मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत को सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) के समक्ष पेश होना था, परंतु वह जांच एजेंसी के सामने उपस्थित नहीं हुए।
उनकी तरफ से सीबीआई को एक अनुरोध पत्र प्राप्त हुआ है जिसमे उन्होंने आज पेश होने में असमर्थता जाहिर की है। सीबीआई ने 23 दिसम्बर को उन्हें समन जारी किया गया था। इससे पहले भी वे दो बार जांच एजेंसी के सामने पेश हो चुके हैं।
सीबीआई ने रावत को समन जारी कर 26 दिसम्बर को कोर्ट में पेश होने को कहा था। रावत का कहना है कि बीजेपी को पता है कि वहचुनाव में मुकाबला नहीं कर सकती, इसलिए ऐसा दांव खेल रही है।
समन जारी होने पर रावत ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव से ठीक पहले उन्हें सीबीआई के समन जारी करने के पीछे सरकार की साजिश लगती है। रावत ने कहा कि राष्ट्रपति शासन में राज्यपाल ने केंद्र से सीबीआई जांच की सिफारिश की थी जबकि निर्वाचित सरकार ने संस्तुति नहीं की।
यदि ऐसे ही सीबीआई जांच होती रही तो कोई नहीं बचेगा। राष्ट्रपति शासन स्टिंग के आधार पर लगाया था लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट ने नकार दिया। फिर स्टिंग मामले में जांच बनती ही नहीं है। जब किसी विधायक को खरीदा ही नहीं गया तो खरीद-फरोख्त की बात कहां से आई।
स्टिंग में आंख बंद कर लूंगा की बातचीत को उन्होंने स्वीकारा पर कहा कि सत्ता में रहते हुए कुछ समझौते करने पड़ते हैं। उन्होंने सरकार गिराने की साजिश रचने वालों की जांच की भी मांग की।
उनकी मांग है कि दो साल तक सीएम आवास में दलाली करने वाले, तथाकथित स्टिंगबाज के पास मोटी धनराशि और सरकार को गिराने की साजिश रचने वालों के खिलाफ जांच होनी चाहिए।