ब्रिस्बेन। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि विदेशों में जमा काले धन को वापस अपने देश लाना उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि विदेशों में रखा बेहिसाब पैसा सुरक्षा और आर्थिक दोनों तरह की चुनौतियों से जुड़ा है।
उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले यहां विश्व के पांच राष्ट्रों के समूह ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) के नेताओं के साथ शनिवार को अनौपचारिक बैठक में इस मुद्दे पर सहयोग करने का आह्वान किया। इस दिशा में प्रधानमंत्री ने बेहतर अंतरराष्ट्रीय नीति समन्वय और वैश्विर आर्थिक संस्थानों में सुधार की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने जानकारी साझा करने और बुनियादी सुविधाओं के श्रेष्ठ व्यवहार के लिए एक डिजिटल केंद्र के निर्माण का सुझाव दिया। मोदी ने कहा कि जी -20 की बैठक कमजोर वैश्विक आर्थिक विकास की छाया में हो रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में राजनीतिक अशांति और इबोला महामारी चिंता का कारण है।
उन्होंने कहा कि इसीलिए आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सकारात्मक माहौल की जरूरत है, और जी-20 इस प्रयास का समर्थन कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि आर्थिक आत्मविश्वास को पुनर्जीवित करने और विकास और रोजगार के सृजन को बढ़ावा देने की सख्त जरूरत है।
मोदी को आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने सुधार के अनुभव और उनको अग्रसारित करने के मुद्दे पर अपने अनुभव पर आधारित विचार रखने के लिए बुलाया था। अपने भाषण में मोदी ने जोर देते हुए कहा कि सुधार चोरी छिपे नहीं किए जा सकते, इन्हें लोगों द्वारा संचालित और लोगों द्वारा केंद्रित होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सुधार लोगों को हो रही समस्याओं पर आधारित होने चाहिए। इस संबंध में प्रधानमंत्री ने पानी और बिजली की उपलब्धता के बीच की एक कड़ी को व्याख्या कर समझाया। उन्होंने कहा कि किसानों को भूजल निकालने के लिए बिजली की जरूरत होती है क्योंकि पानी कहीं अन्य जगह उपलब्ध नहीं होता।
किसानों को हालांकि हम पानी उपलब्ध करा दें तो उन्हें रियायती बिजली की आवश्यकता नहीं होगी। इसलिए सुधार प्रक्रिया मूल कारणों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वहां सुधार होना स्वाभाविक है और इसीलिए सुधार प्रक्रिया को राजनीति से बचाने की आवश्यकता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि रविवार को प्रधानमंत्री जी-20 को संबोधित करेंगे, जहां पर उनके पास काले धन के मुद्दे पर अपनी बात करने का मौका होगा। मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांकोइस ओलांद और साउदी अरब के राजकुमार समलान बिन अब्दुल्लाजिज अल साउद से मुलाकात की।
ओलांद और हार्पर के साथ मोदी की मुलाकात काफी परिचयात्मक थी, जिसमें उन्हें दोनों देशों के नेताओं द्वारा उनके देश आने का बुलावा मिला।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संकेत दिए हैं कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं के निमंत्रण स्वीकर किए हैं और वह अगले साल दोनों देशों की यात्रा के लिए उत्सुक दिख रहे हैं। वह एक ही यात्रा में दोनों देशों में जा सकते हैं, यह काम की यात्रा होंगी, और अगले साल के पहले छह महीनों में वह इन देशों की यात्रा पर जा सकते हैं।
कनाडा और फ्रांस दोनों देशों ने आतंकवाद पर अपनी चिंता जाहिर की। अपनी दोनों मुलाकातों में प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि धर्म को आतंकवाद से न जोड़ा जाए। मोदी ने कनाडा की संसद पर हुए हमले के लिए हार्पर से संवेदना व्यक्त की। दोनों देशों के नेताओं ने मोदी के साथ आर्थिक सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर भी चर्चा की।