पणजी। ब्रिटिश फिल्म एडिटर हम्फ्रे डिक्सन ने कहा कि वह एक फिल्म संपादक के रूप में भारत की संस्कृति से जुड़े रहने में खुश हैं।
46वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के इतर मीट द डायरेक्टर कार्यक्रम में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए डिक्सन ने कहा कि फिल्मों का संपादन करना बेहद मुश्किल काम है और इसके लिए काफी अनुभव की जरूरत होती है।
संपादन करने वाले को यह विश्लेषण करना आना चाहिए कि क्या हटाया जाए और क्या नहीं। डिक्सन ने कहा कि मुझे संपादन बेहद पसंद है।
हम्फ्रे डिक्सन ने अपने करियर की शुरुआत लंदन के पहले कमर्शियल टीवी चैनल एसोशिएटिड-रेडिफ्यूजन में फिल्म ट्रेनी के रूप में की।
अपना पूरा वक्त संपादन में लगाने का फैसला लेने के बाद वह बहुत तेजी के साथ असिस्टेंट से फ्रीलांस फिल्म एडिटर बनने की ओर बढ़े।
उन्होंने ज्यादातर लंदन सप्ताहांत टीवी साप्ताहिक आर्ट्स कार्यक्रम ‘द साउथ बैंक शो’ और फीचल लेंथ ‘सॉन्ग रिमेन्स द सेम’ समेत डॉक्यूमेंट्रीज़ पर काम किया।
फीचर फिल्मों के एडिटिंग में अपने पांव पसारते हुए उन्होंने जेम्स आइवरी की एक राजकुमार पर आत्मकथा का संपादन किया।
इसके बाद उन्होंने कंपनी के लिए 8 और फीचर्स की एडिटिंग की जिनमें से दो तो भारत आधारित थी। उन्हें ‘ए रूम विद ए व्यू’ में अपने बेहतरीन काम के लिए बाफ्टा में नामांकित किया गया था।