नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने देश की राजनीति में नया इतिहास रचते हुए दिल्ली विधानसभा में अपनी झाडू से सभी राजनीतिक दलों का पूरी तरह सूपडा साफ कर दिया है। दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में आप ने 67 सीटें जीती हैं। इससे पहले सबसे अधिक 52 सीटें कांग्रेस ने 1998 के चुनाव में जीतीं थीं लेकिन इस चुनाव में वह अपना खाता भी नहीं खोल पाई है।
भारतीय जनता पार्टी भी दिल्ली की राजनीति में अब तक की सबसे दयनीय स्थिति में है और उसके पास केवल तीन सीटें ही आती नजर आ रहीं हैं जो उसका अब तक सबसे खराब प्रदर्शन है। इससे पहले 1998 में भाजपा को सबसे कम 15 सीटें मिलीं थीं। केजरीवाल नई दिल्ली से फिर चुनाव जीत गए हैं। उनकी सरकार में मंत्री रहे मनीष सिसौदिया, सौरभ भारद्वाज और सत्येन्द्र जैन चुनाव जीत चुके हैं। राखी बिडलान, सोमनाथ भारती और गिरिश सोनी अपने प्रतिद्वंद्वियों से भारी बढ़त बनाए हुए हैं।
केजरीवाल की सुनामी के आगे भाजपा के सारे तंबू उखाड़ गए। भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी भाजपा की परंपरागत सीट कृष्णानगर से चुनाव हार गई। पार्टी के दिल्ली की राजनीति में स्तंभ माने जाने वाले जगदीश मुखी जनकपुरी से और साहब सिंह घोंडा से बुरी तरह पराजित हुए।
कांग्रेस की चुनाव प्रचार अभियान समिति के प्रमुख पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पार्टी के महासचिव अजय माकन सदर बाजार से पराजित हो गए हैं। कांग्रेस के पांच बार चुनाव जीतने वाले पूर्व मंत्री हारून यूसुफ बल्लीमारान से इस बार अपनी सीट नहीं बचा पाए। जनता दल यू से चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए पांच बार से मटियामहल सीट से जीतते आ रहे शोएब इकबाल भी चुनाव हार गए हैं।
सीलमपुर से कांग्रेस के मतीन अहमद भी इस बार आप की झाडू के सामने टिक नहीं पाए। चुनाव हारने वाले प्रमुख नेताओं में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भाजपा के महिन्द्र सिंह धीर, योगानंद शास्त्री, प्रेम सिंह, उपाध्यक्ष अमरीश गौतम, पूर्व मंत्री अशोक कुमार वालिया हैं। चुनाव से ठीक पहले आप छोड़कर भाजपा में शामिल हुए दलबदलुओं को मतदाताओं ने पूरी तरह नकार दिया है। पिछली बार जंगपुरा से आप के टिकट पर लड़े पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धीर जो इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लडे थे, बुरी तरह हार गए हैं।
अम्बेडकर नगर जहां मोदी ने रैली की थी और वहां से पिछले चुनाव में आप से विजयी अशोक कुमार इस बार भाजपा के उम्मीदवार थे पराजित हो गए हैं। कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई पूर्व केन्द्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ चुनाव हार गई हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री बूटा सिंह के पुत्र अरविंदर सिंह लवली देवली से, कांग्रेस के पूर्व विधायक और भाजपा में शामिल हुए एस सी वत्स को भी मतदाताओं ने खारिज कर दिया। अन्य पार्टियों से आप में शामिल हुए नेताओं को मतदाताओं ने हाथोंहाथ लिया।
भाजपा और कांग्रेस में हडकम्प
जबरदस्त हार से जहां भाजपा और कांग्रेस में हडकम्प मच गया है। वहीं आम आदमी पार्टी के पटेल नगर स्थित कार्यालय में जबरदस्त उत्साह नजर आया। कांग्रेस में इस्तीफे की झडी लग गई तो भाजपा में इस हार का ठीकरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर फूटने से बचाने के लिए प्रतिस्पर्धा। सबसे पहले किरण बेदी में अपनी हार के बाद पत्रकार वार्ता करके इस हार की पूरी जिम्मेदारी खुद पर ली।उन्होंने दिल्ली वालों से मिले प्यार का आभार जताया तो अभूतपूर्व सफलता के साथ दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए अरविंद केजरीवाल से दिल्ली वालों को सफाई, शिक्षा और चिकितसा की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया।
भाजपा के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस पर चिंतन और समीक्षा करने की बात कही। वे भी इसका ठीकरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर फोडने की बजाय खुद लेने को आतुर दिखे। कांग्रेस के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदरसिंह लवली ने इस्तीफा भेज दिया है तो कांग्रेस के मुख्यमंत्री के दावेदार और महासचिव अजय माकन भी इस हार के लिए पार्टी हाईकमान से मिलने पहुंचे हैं।