ग्वालियर। आतंकवादियों का खात्मा करना हो या फिर जंगल में गुरिल्ला वॉर, ऐसे मामलों में निपटने के लिए सबसे आगे रहते हैं बीएसएफ कमांडोज। अपनी सर्वश्रेष्ठता बीएसएफ कमांडोज ने उस प्रतियोगिता में साबित की, जिसमें पूरे देश की पैरा मिलेटरी और राज्यों की पुलिस के कमांडोज शामिल हुए थे।
नंबर वन रहे बीएसएफ के कमांडो
कमांडो प्रतियोगिता का आयोजन एक हफ्ते तक बीएसएफ अकादमी टेकनपुर में किया गया था। इसमें 16 राज्यों और 7 पैरा मिलेटरी फोर्स के कमांडोज ने अपनी टॉस्क दिखाई, लेकिन इसमें सबसे उम्दा प्रदर्शन बीएसएफ के कमांडोज ने किया।
ये टॉस्क समय से पहले पूरे किए
टॉस्क को तुरंत समझकर ऑपरेशन के लिए तैयार होना। कमांडोज ने यह काम मात्र 3 मिनट में किया। डेढ़ किमी दौड़कर तुरंत 23 बाधाओं को 13 मिनट में पार करना। यह काम 12 मिनट में किया गया। सीमित बुलेट के साथ टारगेट पर फायरिंग करना। बीएसएफ कमांडोज ने यह काम सटीकता से किया और सौ फीसदी बुलेट टारगेट पर लगे। जंगल में छिपे आतंकवादियों को बिना खून-खराबे के पकड़ना। यह काम बिना गलती से हुआ। शहर में छिपे आतंकवादियों को मार गिरना, वो भी किसी नागरिक को नुकसान पहुंचाए बिना।
आंध्र प्रदेश पुलिस के कमांडोज दूसरे नंबर पर
यह सभी टास्क तय समय में सबसे पहले बीएसएफ कमांडोज ने किया और फिर आंध्र प्रदेश पुलिस के कमांडोज ने करके दूसरा स्थान लिया। प्रतियोगिता में आए इंटेलीजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर जनरल डॉ. आनंद कुमार ने कहा कि कमांडो एक जवान से अलग होता है। दुश्मन भी कमांडो फोर्स का नाम सुनकर उसकी ताकत आधी हो जाती है। प्रतियोगिता से केवल यह पता चलता है कि हमारी ट्रेनिंग का लेबल क्या है और क्या कमियां है।