नई दिल्ली। केन्द्र सरकार पठानकोट वायुसेना हवाई ठिकाने पर आतंकी हमले के बाद से सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने के हर संभव कदम उठा रही है। इसी के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर बीएसएफ जवानों की संख्या कम करने और उन्हें पंजाब एवं जम्मू क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात करने के एक प्रस्ताव पर विचार चल रहा है।
इस बारे में अधिकारियों ने कहा कि नियंत्रण रेखा से बीएसएफ की 12 बटालियनों में से कम से कम 4 बटालियनों को हटाने का एक प्रस्ताव पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा जा चुका है। इस बारे में अंतिम निर्णय लेने को एक नोट रक्षा मंत्रालय और सेना से मशविरा करने के बाद सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी द्वारा जल्द तैयार किया जाएगा।
सुरक्षा से जुडे सूत्रों की माने तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद इस पर विचार कर रहा है कि क्या बीएसएफ की सभी 12 बटालियनों को नियंत्रण रेखा से हटाया जा सकता है क्या उसे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ की वर्तमान स्थिति के पीछे दूसरी रक्षा पंक्ति के तौर पर तैनात किया जा सकता है।
इसी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ऐसी घटनाएं हुई थीं जिसमें आतंककारियों ने बार्डर पार की और जम्मू एवं पंजाब में महत्वपूर्ण सैन्य, पुलिस और नागरिक प्रतिष्ठानों पर हमले की वारदातों को अंजाम दिया।
हालांकि बीएसएफ के वरिष्ठ कमांडर इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि बीएसएफ को नियंत्रण रेखा से हटाने से उसके जवान उस अनुभव से वंचित हो जाएंगे जो उन्हें पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध के बाद से सीमा पर सेना के संचालन कमान के अधीन मिल रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में इस संबंध में भेजे गए एक प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया है कि नियंत्रण रेखा से अच्छी संख्या में बटालियनों को हटा लिया जाना चाहिए और उन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दूसरी रक्षा पंक्ति के तौर तैनात किया जाए जहां से घुसपैठ के प्रयास होने का खतरा रहता है।
अधिकारी ने इस संबंध में तैयार प्रस्ताव के हवाले से कहा कि यह निर्णय इसलिए किया गया क्योंकि बल को अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित करने के लिए और जवानों की जरूरत है और ऐसा अन्य स्थानों से इकाइयों को हटाकर ही किया जा सकता है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर विशेष तौर पर घुसपैठ के खिलाफ रक्षा तंत्र को मजबूत करने के उपाय सुक्षाने के लिए हाल में पूर्व केंद्रीय गह सचिव मधुकर गुप्ता के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया था।