आजमगढ़। जिले के शंकरपुर चेकप मैदान में बसपा सुप्रिमो मायावती के करीब डेढ़ घंटे के सम्बोधन में केवल आरएसएस का बार-बार जिक्र कर रही थी। आरएसएस द्वारा दलितों को संगठन से जोड़ने की कोशिशों से बसपा मुखिया मायावती काफी भयभीत दिखी। यहीं वजह रही कि उनका पूरा भाषण इसी संगठन के इर्दगिर्द घूमता रहा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा आरएसएस के एजेंडे को सत्ता में रहकर आगे बढ़ा रही है। साथ ही दलित, पिछड़ों और मुसलमानों को आरएसएस से दूर रहने की नसीहत भी दी। पूरे सम्बोधन के दौरान शुरूआत जहां मायावती ने आरएसएस से की थी वही अन्त होने से कुछ मिनट पहले की आरएसएस पर जाकर सम्बोधन को समाप्त किया।
मायावती ने आजमगढ़ में कहा कि आरएसएस और भाजपा जातिवादी और पूंजीवादी हैं। भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार आरएसएस के जातीय और पूंजीवादी एजेंडे पर काम कर रही है। ये जातिवादी संक्रीर्ण मानसिकता से घिरे है। सत्ता में आने के बाद भाजपा और आरएसएस अपनी सांप्रदायिक सोच को जनता पर थोप रही हैं। खासकर मजदूर, गरीब, दलित, पिछड़ों का उत्पीडन सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है।
हैदराबाद के रोहित बेमुला, गुजरात के उना कांड और सहारनपुर के शब्बीरपुर कांड से सबक लेने की जरूरत है। नहीं चेते तो ये हमसे आरक्षण भी छीन लेंगे। केंद्र की मोदी सरकार निजी क्षेत्र में आरक्षण कि व्यवस्था किए बिना ही विभिन्न संस्थाओं का निजीकरण करने का प्रयास कर रही है।
यह वही आरएसएस और बीजेपी है जिसने मंडल कमीशन लागू होने बाद ने केवल वीपी सिंह की सरकार गिराई थी बल्कि पूरे देश में आंदोलन किया था। अब आरक्षण छीनने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे है।