लखनऊ। ‘महिला विरोधी बीजेपी मुर्दाबाद’ का नारा बुलंद करने वाले बसपाई लखनऊ में हल्लाबोल प्रदर्शन के दौरान अपनी मर्यादाएं भूल गए। बड़े नेताओं की मौजूदगी में वे मायावती पर टिप्पणी करने वाले भाजपा नेता के घर की बहू-बेटियों पर गलत बयानबाजी करते रहे और वे चुपचाप सुनते रहे। बसपाइयों के इस महिला प्रेम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बुधवार को भाजपा नेता दयाशंकर सिंह की टिप्पणी से नाराज मायावती ने सदन में महिलाओं को महिमामंडित करते हुए लम्बे-चौड़े भाषण दिए थे। इसके बाद भाजपा ने टिप्पणी करने वाले नेता से न सिर्फ पद छीना बल्कि उन्हें पार्टी से निष्कासित भी कर दिया था।
गुरुवार को बसपा ने लखनऊ में भाजपा के खिलाफ हल्ला बोल दिया और हजरतगंज स्थित बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति के सामने धरना शुरू कर दिया। महिला विरोधी बीजेपी मुर्दाबाद नारे से शुरू प्रदर्शन से ऐसा लगा मानो बसपा ने नैतिकता का पाठ पढ़ लिया है। पार्टी में महिला सम्मान का खयाल रखा जाएगा।
लेकिन कुछ ही देर बाद बसपाइयों का यह महिला प्रेम टिप्पणी करने वाले भाजपा नेता की बहू-बेटियों पर आ गया। उनके खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया जाने लगा और उन्हें सामने आने की दावत दी जाने लगी।
भाजपा का महिला सम्मान का सबक सिखाने सड़क पर उतरे बसपाइयों के इस व्यवहार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कहां का न्याय है कि बहन-बेटियों के खिलाफ जहर उगलने वालों की बहन-बेटियों के खिलाफ असम्मानजनक शब्दों का प्रयोग किया जाए।
दयाशंकर की बेटी के लिए नसीमुद्दीन की गंदी टिप्पणी
बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी का अभद्र बयान बसपा को सांसत में डाल सकता है। वे बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले भाजपा से निष्कासित नेता दयाशंकर सिंह के लिए बेहद अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सार्वजनिक रूप से बसपा के धरने के दौरान दयाशंकर सिंह को गाली दी है। हालांकि लखनऊ में बसपा के धरने के दौरान गालियां सिर्फ नसीमुद्दीन ने नहीं दी, बल्कि धरने के दौरान कई बसपा नेताओं ने अपशब्दों का इस्तेमाल किया। बसपा नेताओं ने दयाशंकर के घर की महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी की है। इस दौरान सिंह के बेटी को बुलाने और पेश करने के नारे भी लगाये गये।
बसपाइयों ने सारी सीमाएं लांघ दी। निष्कासित भाजपा नेता दयाशंकर सिंह सहित बीजेपी के नेताओं के लिए बेहद आपत्तिजनक शब्दावली का इस्तेमाल किया गया। दयाशंकर सिंह के परिवार के सदस्यों के लिए भी बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया।
बसपा के बड़े नेता मंच पर बैठे थे और बसपा नेता सभी मर्यादाओं को तोड़ते हुए खुलेआम भद्दी गालियां दे रहे थे। ऐसी-ऐसी गालियां दी गई, जिन्हें लिखा नहीं जा सकता है।