नई दिल्ली। सरकार नोटबंदी के बाद बने हालात को देखते हुये अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिये बजट से पहले कई बदलाव कर सकती है। सरकार प्रत्यक्ष करों में व्यापक फेरबदल कर सकती है। आयकर छूट सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जा सकता है और बैंकों में 5 साल की सावधि जमा के बजाय तीन साल की सावधि जमा पर कर छूट दी जा सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शोध रिपोर्ट ‘ईकोरैप’ के मुताबिक आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ सकती है। आयकर की धारा 80C के तहत विभिन्न निवेश और बचत पर मिलने वाली छूट सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। आवास रिण के ब्याज पर भी कर छूट की सीमा बढ़ सकती है।
SBI की ईकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा मौजूदा 2.5 लाख रुपये से बढक़र तीन लाख रपये सालाना हो सकती है। धारा 80सी के तहत विभिन्न बचतों और निवेश पर मिलने वाली कर छूट सीमा 1.5 लाख से बढक़र दो लाख रपये की जा सकती है। आवास रिण के ब्याज पर मिलने वाली कर छूट सीमा दो लाख से बढक़र तीन लाख रपये की जा सकती है। इसके अलावा बैंकों में पांच साल की सावधि जमा के बजाय तीन साल की जमा पर कर छूट मिल सकती है।’’
स्टेट बैंक शोध की यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार और महा प्रबंधक आर्थिक शोध विभाग सौम्या कांती घोष ने तैयार किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस तरह की छूट देने से सरकारी खजाने पर 35,300 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा लेकिन हमें आय घोषणा योजना-दो के राजस्व और रिजर्व बैंक की निरस्त नोट देनदारी से संतुलित होने की उम्मीद है।’
SBI शोध के अनुसार आय घोषणा योजना आईडीएस के तहत करीब 50,000 करोड़ रपये की कर वसूली और नोटबंदी की वजह से निरस्त देनदारी के तौर पर करीब 75,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ारने के लिये प्रत्यक्ष करों में यह फेरबदल हो सकता है। वर्तमान में ढाई लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर कोई कर नहीं है। ढाई लाख से पांच लाख तक 10 फीसदी, 5 से 10 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 20 फीसदी और दस लाख रपये से ज्यादा की आय पर 30 फीसदी की दर से आयकर लगता है।
नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है।चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि पिछले साल यह 7.6 फीसदी रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बजट को लेकर चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं।