नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र की बिसात कल 23 फरवरी को बिछ जाएगी जिसपर दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार से उत्साहित विपक्षी दल अपने आक्रामक तेवरों से मोदी सरकार को घेरने की हर संभव कोशिश करेंगे जबकि सरकार 20 से अधिक अपने विधेयकों को पारित कराने के लिए उनकी घेराबंदी से निकलकर उन्हे पारित कराने की रणनीति अपनायेगी। सत्तापक्ष और विपक्ष के इस शह और मात के खेल में यह सत्र हंगामेपूर्ण रहेगा इसकी पूरी संभावना है।
बजट सत्र 23 फरवरी से आठ मई तक दो हिस्सों में चलेगा। पहले चरण 23 फरवरी से 20 मार्च तक और दूसरा चरण 20 अप्रैल से आठ मई तक चलेगा। 26 फरवरी को रेल बजट, 27 फरवरी को आर्थिक सर्वेक्षण और 28 फरवरी को आम बजट प्रस्तुत किया जाएगा।
संसद में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सहित अधिकांश विरोधी दल भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का पहले से ही विरोध कर रहे है। उनका कहना है कि इस अध्यादेश के माध्यम से मोदी सरकार ने वर्ष 1894 में बने कानून के प्रवधानों को फिर से लागू कर दिया है।
दूसरी ओर भाजपा से खफा ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृषमूल कांग्रेस तथा वामपंथी दल बीमा संशोधन अध्यादेश का विरोध कर रहे है जिसमें बीमा क्षेत्र में निवेश की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़कर 49 प्रतिशत करने का प्रावधान है।
नौ महीने पुरानी मोदी सरकार का यह पहला पूर्ण बजट होगा। सरकार को इस सत्र में कोयला खान एंव खनिज, भूमि अधिग्रहण ,बीमा संशोधन, नागरिकता संशोधन तथा ई-रिक्शा से जुड़े छः अध्यादेशों के स्थान पर विधेयक पारित कराने है। राज्यसभा में बहुमत नही होने के कारण सरकार के लिए भूमि अधिग्रहण तथा बीमा संशोधन अध्यादेशों के स्थान पर लाए जाने वाले विधेयकों को पारित कराना बहुत मुश्किल होगा।
सरकार पर अध्यादेश लाने की जल्दबाजी का आरोप लगाकर इस सत्र में विपक्षी दल सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है। भाजपा और संघ परिवार से जुडे कुछ नेताओं के बयान बजट लीकेज और मुद्रास्फीति का मुद्दा भी विपक्ष का हथियार बनेगा।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और संसदीय कार्यमंत्री वैंकैया नायडू सत्र को शान्तिपूर्ण और सुचारु रुप से चलाने हेतु आज सर्वदलीय बैठक और सभी दलों के नेताओं को रात्रिभोज पर आंमत्रित किया है।
कांग्रेस का यह पुरजोर प्रयास है कि विपक्षी एकता कायम रहे पर सरकार भी विधेयकों को पारित कराने के लिए हर पैंतरा अपनाएगी।
राजनीति गलियारों में चर्चा है कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के पोते एंव सांसद तेज प्रताप यादव और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पुत्री राजलक्ष्मी के तिलक समारोह में भाग लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सियासी गलियारो में दोस्ती का पैगाम देकर उन्हे मनाने की पहल की है। हालांकि सरकार को कई मुद्दों को संसद में और बाहर सड़कों पर विपक्षी दलों और गैर सरकारी संगठनों के आन्दोलन रुपी चुनौतियों से निपटना होगा जो उसके लिए अग्नि परीक्षा होगी।
कांग्रेस के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने गौतम बुद्ध नगर जिले के चाउरोली गाँव में किसान महापंचायत कर भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर मोदी सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी 25 फरवरी को जतंर मंतर पर धरना देकर इस अध्यादेश का विरोध करेंगे।
गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे भी जल, जमीन और जंगल के मुद्दों पर कल से जन्तर मंतर पर आन्दोलन शुरु करने की घोषणा की है। आम आदमी पार्टी के संयोजक एंव दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी उनसे जुड़ना चाहते है।
सियासी बिसात पर अपनी रणनीतिक चालों से कौन किसको मात देता है यह तो समय ही बतायेगा पर यह स्पष्ट हो गया है कि संसद का यह सत्र हंगामेदार होगा।