पटना। रालोसपा की राष्ट्रीय सचिव सीमा सक्सेना ने कहा है कि सरकारें और सामाजिक संगठन चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, जबतक समाज की सोच नहीं बदलेगी तबतक बदलाव संभव नहीं है।
पटना के पास मसौढ़ी में 16 साल की बच्ची को जिंदा जला देने की घटना से क्षुब्ध सीमा सक्सेना ने ये बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसे माता-पिता को इंसान नहीं कहा जा सकता जो इस तरह की घृणित, विकृत और आपराधिक सोच रखते हों।
रालोसपा सचिव ने कहा कि खुशबू नाम की ये बच्ची बारहवीं में पढ़ती थी और उसकी उम्र सिर्फ सोलह साल थी। ये बच्ची पढ़ने में अच्छी थी और ज़िंदगी में कुछ बनना चाहती थी, आत्मनिर्भर होना चाहती थी।
दूसरी ओर, उसके माता-पिता उसे बोझ मानकर किसी तरह शादी करने पर तुले थे। एक तो नाबालिग बच्ची की जबरन शादी कराना चाहते थे, ऊपर से जिस व्यक्ति से शादी की बात चल रही थी, उसकी उम्र ज्यादा थी।
उस बेचारी ने शादी करने से मना कर दिया तो उसके मां-बाप ने उसे जिंदा जला दिया, ये घटना सभ्य समाज के नाम पर एक ऐसा कलंक है, जिसकी हर निंदा कम है।
रालोसपा सचिव ने कहा कि पता नहीं ऐसे लोगों में कब जागरुकता आएगी, कब ये इनसान बनेंगे? केंद्र सरकार बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और राज्य सरकार मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना चला रही है, लेकिन ऐसे लोगों पर इन योजनाओं का कोई असर ही नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सीमा सक्सेना ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में भी जब इस तरह की सोच वाले लोग हमारे बीच रहते हैं तो इसका मतलब है कि बेटियों को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए हम सबको अभी काफी कुछ करना बाकी है।