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सात लाख करोड़ रुपए के बकाया कर पर कैग चिंतित - Sabguru News
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सात लाख करोड़ रुपए के बकाया कर पर कैग चिंतित

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सात लाख करोड़ रुपए के बकाया कर पर कैग चिंतित
CAG finds 96 percent of Rs 7 lakh crore of tax arrears difficult to recover
CAG finds 96 percent of Rs 7 lakh crore of tax arrears difficult to recover
CAG finds 96 percent of Rs 7 lakh crore of tax arrears difficult to recover

नई दिल्ली। देश में बकाया कर की राशि बढ़कर सात लाख करोड़ रुपए हो गई है। आयकर कानून में बकाया वसूली और रिकवरी के स्पष्ट प्रावधानों जैसे बकाएदारों की चल-अचल संपत्ति जब्त करने या बेचने के साथ रिसीवर नियुक्त करने की व्यवस्था के बावजूद बकाए कर में बढ़ोत्तरी को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में चिंता जताई है।

संसद में पेश की गई कैग रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल मार्च माह में बकाया कर बढ़कर सात लाख करोड़ रूपए हो गया है, जो 2014 की इसी अवधि में 5.75 लाख करोड़ रुपए रहा था। बकाया वूसली और रिकवरी के स्पष्ट प्रावधानों जैसे बकाएदारों की चल-अचल संपत्ति जब्त करने या बेचने के साथ रिसीवर नियुक्त करने की व्यवस्था के बावजूद बकाए कर में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।

रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 में बकाए कर में से 96 प्रतिशत की वसूली कठिन हो गई। मांग किए जाने के बावजूद वसूली नहीं होने की मुख्य वजह रिवकरी वाली संपत्तियों का अपर्याप्त होना या संपत्ति के बारे में जानकारी नहीं मिल पाना है। साथ ही, इस तरह के मामलों की संपत्ति को बेचने और बकाए की मांग करने का मामला कई एजेंसियों के पास होता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कारपोरेट और गैर कारपोरेट के स्वैच्छिक अनुपालन के तहत घोषणाएं वर्ष 2013-14 में 84.6 प्रतिशत थी जो वर्ष 2014-15 में घटकर 83.2 प्रतिशत हो गई हैं। वर्ष 2014-15 में प्रत्यक्ष कर गत वित्त वर्ष की तुलना में नौ प्रतिशत बढ़कर 57196 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।

इसके बावजूद सकल कर राजस्व संग्रह में प्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 में घटकर 55.9 प्रतिशत पर आ गई, जो इसी अवधि में 56.1 प्रतिशत रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2010-11 से 2014-15 के दौरान कारपोरेट कर और आयकर में क्रमश: 9.5 प्रतिशत और 16.7 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जताई है कि केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने लंबे समय से लंबित और माफ करने की आवश्यकता वाले हाई वैल्यू मामलों की निगरानी के लिए कोई तंत्र नहीं बनाया है।