कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश सीएस कर्णन ने गुरुवार को अपने मानसिक स्वास्थ्य की जांच कराने से इनकार करते हुए इसके लिए घर पहुंची मेडिकल टीम को लौटा दिया और कहा कि वह मानसिक तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
कर्णन ने शीर्ष न्यायालय के सात न्यायाधीशों को आतंकवादी और उनके आदेश को एक दलित न्यायाधीश का अपमान करार दिया।
उन्होंने कहा कि मुझे इलाज की जरूरत नहीं है। रोगी को इलाज की जरूरत होती है और मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं। मैं रोगी नहीं हूं। हां, मैं नार्मल से भी अधिक हूं।
चिकित्सकों की यह टीम सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर न्यायाधीश कर्णन के मानसिक स्वास्थ्य की जांच के लिए उनके घर पहुंची थी।
कर्णन ने उनके घर पहुंची कलकत्ता पावलोव हॉस्पिटल के चार डॉक्टरों की टीम से कहा कि उनकी पत्नी तथा बेटे कोलकाता में नहीं हैं और उनके परिवार की अनुमति के बिना उनके मानसिक स्वास्थ्य की जांच नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी और एक बेटा चेन्नई में हैं। एक बेटा विदेश में है। ऐसे में किसी अभिभावक, अपने परिवार की अनुपस्थिति में मैं आपको अपनी जांच की अनुमति नहीं दे सकता क्योंकि यह कानूनन गलत है।
कर्णन ने उनकी जांच के लिए गठित मेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष के नाम लिखे एक हस्ताक्षरित पत्र में कहा कि गुरुवार को माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश के अनुसार आप और कोलकाता पुलिस विभाग की आपकी टीम पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुझे चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए पहुंची। लेकिन, मैंने इलाज कराने से मना कर दिया है क्योंकि मैं मानसिक तौर पर पूरी तरह स्वस्थ हूं।
उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को एक ‘दलित न्यायाधीश’ का अपमान करार दिया। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने सोमवार को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने और चार मई को कर्णन की जांच करके आठ मई तक जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।
न्यायाधीश कर्णन न्यायपालिका का अपमान करने और सर्वोच्च न्यायालय के कई न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने को लेकर अवमानना का सामना कर रहे हैं।
कर्णन ने अपने मानसिक स्वास्थ्य की जांच के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को ‘पागल न्यायाधीशों का पागलपन भरा आदेश’ करार दिया और कहा कि उन्होंने निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मुझे ताज्जुब है कि सातों न्यायाधीश भ्रष्ट न्यायाधीशों का समर्थन क्यों कर रहे हैं। सातों न्यायाधीश इन भ्रष्ट न्यायाधीशों से क्यों मिले हुए हैं। मेरा अनुमान है कि सातों न्यायाधीशों ने इन 20 न्यायाधीशों के पास मौजूद भ्रष्टाचार की राशि में से हिस्सा लिया है।
उन्होंने कहा कि इसलिए वे इसमें व्यक्तिगत रुचि ले रहे हैं। अचानक ही कैसे उन्होंने मेरा न्यायिक कार्य और प्रशासनिक कार्य रोक दिया? इसका प्रावधान कहां है? उन्होंने मेरे खिलाफ जमानती वारंट कैसे जारी किया? क्या मैं कोई आतंकवादी या समाज विरोधी तत्व हूं?
उन्होंने अपने आवासीय परिसर रोजडेल में मौजूद संवाददाताओं से कहा कि नोट कर लीजिए, सातों न्यायाधीश आतंकवादी हैं।
उन्होंने अपनी बात के समर्थन में ‘तर्क’ देते हुए कहा कि पाकिस्तान के आतंकवादी लगातार भारत की शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी तरह सातों न्यायाधीश लगातार कानून से बाहर जाकर अपनी न्यायिक शक्ति का प्रयोग करके न्यायपालिका को बर्बाद कर रहे हैं। इसलिए ये न्यायपालिका में मौजूद आतंकवादी हैं।
उन्होंने कहा कि जनता का न्यायपालिका में विश्वास और भरोसा खत्म हो गया है। इसलिए 125 करोड़ देशवासियों की ओर से मेरा आग्रह है कि सातों न्यायाधीशों को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।