कोलकाता। फांसी की सजा पा चुके कैदियों के लिए वकील नियुक्त करने का हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है। बामनगाछी के युवक सौरभ चौधरी की हत्या मामले में ये फांसी की सजा पा चुके हैं।
न्यायाधीश नादिरा पाथरिया की डिविजन बेंच ने लीगल एंड सर्विस को निर्देश दिया है कि श्यामल कर्मकार सहित तीन फांसी की सजा पा चुके कैदियों के लिए वकील नियुक्त करें।
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सौरभ चौधरी की हत्या मामले में फांसी की सजा पा चुके कैदियों ने बताया कि पैसों के अभाव में वह अपने लिए वकीन नहीं रख पाए थे।
इसके बाद ही न्यायाधीश नादिरा पाथरिया ने एमीकस क्यूरी की बात कहकर डिविजन बेंच ने लीगल एंड सर्विस को निर्देश दिया कि वे इन कैदियों के वकील नियुक्त करें। मामले की सुनवाई के लिए वकील नहीं रख पाने की स्थिति में कैदियों को अदालत सहायता दे सकती है।
जैसे 26/11 मामले में गिरफ्तार आतंकी अजमल कसाब की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील नियुक्त किया था।
गौरतलब है कि चार जुलाई, 2014 को बामनगाछी में कॉलेज छात्र सौरभ चौधुरी ने इलाके में शराब के अड्डे तैयार करने और यौन उत्पीड़न का विरोध किया था।
इसके बाद बदमाश श्यामल कर्मकार के समर्थकों ने सौरभ का अपहरण कर लिया औ़र उसकी हत्या कर उसके शव को वामनगाछी औ़र दत्तपुकुर रेल लाइन के बीच फेंक दिया था।
इसी जुर्म में पांच मई, 2016 को घटना में शामिल आठ आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई. साथ ही अन्य आरोपियों में से एक को आजीवन कारावास औ़र तीन को पांच साल की सजा सुनाई गई थी।
इसके बाद सजायाफ्ता मुजरिमों ने निचली अदालत के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।