मैड्रिड। कैटेलोनिया के नेताओं ने स्पेन से आजाद होने संबंधित घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, लेकिन मैड्रिड में सरकार के साथ बातचीत तक के लिए इस घोषणा को टाल दिया गया है।
कैटेलोनिया के राष्ट्रपति कार्ल्स प्यूग्डिमोंट और क्षेत्रीय नेताओं ने विवादित जनमत संग्रह के बाद स्पेन से आजाद होने के घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
इन्होंने कहा कि मैड्रिड में स्पेनिश सरकार के साथ बातचीत तक यह कदम लागू नहीं किया जाएगा और इसमें अभी कुछ सप्ताह का समय लगेगा।
यह दस्तावेज कैटलोनिया की एक ‘स्वतंत्र और संप्रभु देश’ के रूप में मान्यता देने की मांग करता है, जिसे हालांकि स्पेनिश सरकार ने तुरंत रद्द कर दिया।
एक अक्टूबर को स्पेन के पूर्वोत्तर स्वायत्त प्रांत में हुए जनमत संग्रह में कैटेलोनिया के नेताओं ने स्पेन से अलग होने के पक्ष में मतदान किया था, जिसे स्पेनिश संवैधानिक न्यायालय ने देश के संविधान का उल्लंघन बताते हुए अवैध घोषित कर दिया था।
इससे पहले मंगलवार को प्यूग्डिमोंट ने बार्सिलोना में कैटालन संसद को बताया कि इस क्षेत्र ने मतदान के जरिए स्वतंत्र होने का अधिकार जीता है।
कातालान के अधिकारियों के अनुसार जनमत संग्रह के परिणाम में 90 प्रतिशत मतदाताओं ने स्वतंत्रता का समर्थन किया। लेकिन स्वतंत्रता विरोधी मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर मतदान का बहिष्कार किया, जो आंकड़ा करीब 43 प्रतिशत रहा। इस दौरान कई अनियमितताओं की भी जानकारी मिली।
हिंसक घटनाओं में राष्ट्रीय पुलिस की भी भूमिका की आलोचना की जा रही है, क्योंकि वह जनमत संग्रह पर प्रतिबंध लगाने के कानूनी निर्णयों को लागू करने के लिए मतदाताओं पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।
घोषणा-पत्र में कहा गया है कि हम सभी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से कैटेलोनिया गणराज्य को एक स्वतंत्र और संप्रभु देश का दर्जा देने का आग्रह करते हैं।
प्यूग्डिमोंट ने क्षेत्रीय संसद से कहा कि ‘लोगों की इच्छा’ मैड्रिड से अलग होने की थी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर तनाव को दूर करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि हम सभी एक ही समुदाय का हिस्सा हैं और हमें आगे बढ़ना होगा। आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता लोकतंत्र और शांति है।
वहीं, स्पेन की उप प्रधानमंत्री सोराया सींज डी सांतामारिया ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि न ही प्यूग्डिमोंट और न ही कोई अन्य व्यक्ति मध्यस्थता को लागू करने का दावा कर सकता है। डेमोक्रेट्स के बीच किसी भी संवाद को कानून के दायरे में रखना होगा।