नई दिल्ली। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने से पहले नए पुनर्गठित संरचना के तहत काम करना शुरू कर दिया है। अब जल्द ही सरकार इसका नाम बदलने वाली है।
संसद के चल रहे वर्तमान सत्र के दौरान इसका नाम बदल कर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्र्ड (सीबीआईसी) कर दिया जाएगा।
सीबीईसी की अध्यक्ष वनजा सरना ने कहा कि सीबीईसी का नाम बदला जा रहा है और इसका नाम सीबीआईसी किया जा रहा है। लेकिन इसके लिए विधायी परिवर्तन करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह केंद्रीय राजस्व अधिनियम 1963 का हिस्सा है। इसलिए सरकार ने वत्र्तमान संसद सत्र में इस अधिनियम में बदलाव करने की तैयारी की है।
संसद का मॉनसून स्तर 17 जुलाई से शुरू हो चुका है जो 11 अगस्त तक चलेगा। इसके अलावा सीबीईसी का प्रशिक्षण संस्थान नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, एक्साइज और नारकोटिक्स (एनएसीईएन) का भी नाम बदल कर नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नारकोटिक्स (एनएसीआईएन) कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस संस्थान के नाम में बदलाव किया जा चुका है, क्योंकि इसके लिए किसी विधायी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। केवल सीबीईसी का नाम बदलने के लिए ही विधायी परिवर्तन की आवश्यकता है, इसलिए इसे संसद में लाया जा रहा है और आधिकारिक रूप से किया जा रहा है।
जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए सीबीईसी का पुनर्गठन किया गया था। अब इसके 21 जोन, 101 जीएसटी करदाता सेवा प्रदाता आयुक्तालय, 15 उप-आयुक्तालय, 768 डिवीजन, 3,969 रेंज, 49 लेखा आयुक्तालय और 50 अपीलीय आयुक्तालय है।