मुंबई। सीबीआई की मुंबई स्थित स्पेशल कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उन्हें 2005 के सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में मंगलवार को आरोप मुक्त कर दिया।
विशेष न्यायाधीश एमबी गोसावी ने यहां अपने संक्षिप्त आदेश में कहा कि मेरा मानना है कि सीबीआई द्वारा निकाले गए निष्कर्ष को समग्रता में स्वीकार करने योग्य नहीं है और उन्हें (अमित शाह को) आरोपी नहीं बनाया जा सकता। विस्तृत फैसला बाद में उपलब्ध कराया जाएगा।
गत वर्ष सितम्बर में सीबीआई ने गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री शाह और 18 अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। इन आरोपियों में से कुछ पुलिस अधिकारी हैा। शाह के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने. साक्ष्य मिटाने और शस्त्र अधिनियम के तहत विभिन्न अपराधों के आरोप लगाए गए थे।
सीबीआई ने शाह और इस मामले के दो अन्य आरोपियों के बीच कथित टेलीफोन कॉल के आधार पर गुजरात के पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए थे। हालांकि शाह ने यह कहते हुए खुद को आरोप मुक्त करने की अदालत से गुहार लगाई थी कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उन्हें फंसाना चाहते हैं।
फैसले के बाद जांच एजेंसी ने कहा कि वह अदालत के आदेश का अध्ययन करेगी। वह आदेश के खिलाफ अपील भी कर सकती है। हालांकि कथित फर्जी मुठभेड़ के शिकार सोहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन शेख ने कहा कि अमित शाह को बचाने के लिए सीबीआई का दुरूपयोग किया गया है।
गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते पर आरोप है कि उसने नवम्बर 2005 में सोहराबुद्दीन और उसकी बीवी कौसर बी को अगवा कर लिया था और उन्हें एक फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था।
गुजरात पुलिस का दावा था कि सोहराबुद्दीन का संबंध पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा से था और उसने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित महत्वपूर्ण राजनीतिक नेताओं की हत्या की योजना बनाई थी। एक साल बाद दिसम्बर 2006 में सोहराबुद्दीन कांड के कथित गवाह तुलसीराम प्रजापति की भी मार गिराया गया था। पुलिस ने दावा किया था प्रजापति हिरासत से भाग रहा था।