बेंगलुरू। कर्नाटक सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी डी.के.रवि की मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने पर राजी हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को राज्य विधानसभा में इसकी घोषणा की।
रवि का शव पिछले सप्ताह उनके घर में फांसी के फंदे से लटकता पाया गया था। इस मामले की जांच राज्य अपराध विभाग (सीआईडी) कर रहा था। विपक्ष शुरू से ही इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहा था। लोगों का गुस्सा उस वक्त भड़क गया था जब राज्य पुलिस ने रवि की मौत को प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला बताया था।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने विधानसभा में यह मामला सीबीआई को सौंपे जाने की घोषणा करते हुए कहा कि हम रवि की मौत का मामला सीबीआई को सौंपने जा रहे हैं, लेकिन ऐसा विपक्ष के दबाव में नहीं, बल्कि पीडि़त परिवार की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।
रवि (36) को उनकी पत्नी और पिता ने 16 मार्च को शहर के दक्षिणपूर्वी उपनगर स्थित घर में मृत पाया था। वह दोपहर से ही फोन नहीं उठा रहे थे।
वर्ष 2009 बैच के अधिकारी रवि दिसंबर, 2014 से शहर में वाणिज्यिक कर विभाग के अतिरिक्त आयुक्त थे। उन्हें कोलार जिले से उपायुक्त के पद से स्थानांतरित कर यहां भेजा गया था, जहां बालू व भू माफिया के खिलाफ कार्रवाई को लेकर उनकी ईमानदार छवि बन गई थी।
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी और जनता दल-सेक्युलर (जस-एस) 17 मार्च से ही इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर विधानमंडल में हंगामा कर रही थीं, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित रही।
इसे देखते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को मामले की जांच सीबीआई से कराने का सुझाव दिया था, जिसके तीन दिन बाद यह फैसला लिया गया।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने रविवार शाम रवि की मौत के संबंध में सीआईडी की अंतरिम रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री सदन के पटल पर इसे नहीं रख पाए थे।