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नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के कथित मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एवं उनके परिजनों से जुड़े कम से कम 13 ठिकानों पर शनिवार को छापेमारी की और अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए।
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि जांच एजेंसी ने हिमाचल प्रदेश के शिमला और सोलन तथा राजधानी दिल्ली के कुल 13 ठिकानों पर छापे मारे। इस छापेमारी में जांच एजेंसी को आपत्तिजनक दस्तावेज, सम्पत्ति एवं निवेश संबंधी कागजात, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव आदि हाथ लगे हैं, जिसकी जांच की जा रही है।
प्रवक्ता ने बताया कि सीबीआई ने गत 23 सितम्बर को सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, पुत्र विक्रमादित्य सिंह, पुत्री अपराजिता सिंह और एक एलआईसी एजेंट आनंद चौहान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
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यह मुकदमा उस प्रारम्भिक जांच (पीई) का परिणाम था, जिसमें सीबीआई ने पाया कि सिंह ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में 2009 से 2012 के बीच इस्पात मंत्री रहते छह करोड़ तीन लाख की सम्पत्ति अर्जित की थी, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी। सीबीआई सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी के 18 अधिकारी सुबह सिंह के शिमला स्थित घर पहुंचे और वहां छापेमारी की।
उधर शिमला से प्राप्त जानकारी के अनुसार, छापे के समय सिंह और उनके परिवार के सदस्य मौजूद नहीं थे, क्योंकि शनिवार को ही उनकी पुत्री की शादी होनी थी और मुख्यमंत्री परिजनों समेत विवाह समारोह के लिए रवाना हो चुके थे। सिंह और उनके परिवार वाले विवाह स्थल के लिए रवाना हुए ही थे कि कुछ ही मिनट बाद छापे के लिए पांच वाहनों में सवार होकर 18 सदस्यों का एक दल वहां पहुंचा।
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छापे की कार्रवाई सुबह सात बजकर करीब 55 मिनट पर शुरू हुई। आरोपों के मुताबिक सिंह ने केंद्रीय मंत्री के पद पर रहते हुए अपने और अपने परिजनों के नाम जीवन बीमा पॉलिसियों में एलआईसी एजेंट चौहान के माध्यम से 6.03 करोड़ रुपए का निवेश किया।
केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा ने राजधानी दिल्ली में कहा कि यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार का मामला है। यह स्पष्ट है कि उन्होंने संप्रग शासन के दौरान केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए अपने पद का दुरूपयोग किया और भ्रष्टाचार में लिप्त हुए और वह इस मामले में बेनकाब हो गए हैं।
उन्हें पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार है। भाजपा के सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा कि उनमें यदि कोई नैतिकता बची है, तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए।
उधर हिमाचल प्रदेश के पूरे मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को एक संयुक्त बयान जारी करके राजग सरकार पर राज्य में कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने के लिए दबाव की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया।
इस बीच उत्तराखंड में सत्ताधारी कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह के परिसरों पर सीबीआई की ओर से की गई छापेमारी की निंदा की और कहा कि ये छापे ऐसे दिन मारे गए जब उनके पुत्री का विवाह हो रहा था। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि किसी मुख्यमंत्री के परिसरों पर उस समय छापेमारी करना जब वह अपने पुत्री का विवाह कर रहे, राजनीति के शिष्टाचार के खिलाफ है।
वहीं असम के मुख्यमंत्री तरूण गोगोई ने भी वीरभद्र सिंह के परिसरों पर सीबीआई की छापेमारी की कार्रवाई की निंदा की और इसे केंद्र की ओर से बदले की कार्रवाई करार दिया। गोगोई ने यहां कहा कि मैं इस कृत्य की कडी निंदा करता हूं। केंद्र की भाजपा सरकार बहुत प्रतिशोध की मानसिकता रखती है। यह मशीनरी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रही है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के खिलाफ गंभीर आरोप होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं पंजाब कांग्रेस प्रमुख प्रताप सिंह बाजवा ने चंडीगढ़ में जारी एकबयान वीरभद्र के परिसरों पर सीबीआई की ओर से मारे गए छापों की निंदा की और कहा कि मोदी सरकार ने राजनीति के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने का एक चौंकाने वाला उदाहरण पेश करते हुए वीरभद्र सिंह के आवास पर ऐसे समय छापेमारी की जब उनकी पुत्री मीनाक्षी का विवाह हो रहा था।