सिरोही। सीसीटीवी कैमरा खरीद मामले में राज्यमंत्री ओटाराम देवासी की ओर से जांच के आदेश के बाद नायब तहसीलदार ने नगर परिषद की कैशबुक व रजिस्टर सोमवार को ले लिए है। तहसीलदार बशीर मोहम्मद ने बताया कि नायब तहसीलदार ने यह दस्तावेज लेकर इसे एडीएम को दिखा दिया है।
वैसे सबगुरु न्यूज को हाथ लगे दस्तावेजों में जो कमियां और नियमों में बरती गई खामियां नजर आ रही है व प्रथम दृष्टया जनता के धन को अनियमित तरीके से लूटने की कोशिश लग रही है, इसका आरोप भाजपा के आईटी सेल के जिलाध्यक्ष रोहित खत्री लगा चुके हैं।
उनके अनुसार प्रथम दृष्टया गबन और जनता की गाढी कमाई की राशि को मिलीभगत से लूटने की कोशिश ज्यादा लग रही है। यह प्रक्रिया नगर परिषद और पुलिस विभाग दोनों के अधिकारियों पर सवालिया निशान लगा रही है।
कई जवाब् नदारद
1 सबगुरु न्यूज को मिले दस्तावेज के अनुसार इस टेंडर प्रक्रिया में तीन कंपनियों को शामिल दिखाया गया है, दो कंपनियां अहमदाबाद की और एक कंपनी अहमदाबाद की। सवाल यह है कि जोधपुर के स्थानीय पेपरों में छपे ऐसे पेपर जो आॅनलाइन नहीं है, उसमें छपे टेंडर एक दिन में ही अहमदाबाद और मुंबई की कम्पनी के पास कैसे पहुंच गए। उन कंपनियों के पास इसकी पूरी डिटेल भी तैयार थी कि उसने अपना कोटेशन समेत समस्त दस्तावेज यहां पर टेंडर के साथ पेश कर दिए।
2. स्टोर खरीद नियम के अनुसार किसी भी टेंडर के लिए बाहरी संस्थान के लिए नेगोशिएशन के लिए कम से कम 7 दिन का समय लगेगा और ऐसे में बीस अक्टूबर को ही नेगोशिएसन पत्र लिखकर नेगोशिएसन कर लिया गया और 24 अक्टूबर को वर्क आॅर्डर भी दे दिया गया। वैसे पर्चेस कमेटी चाहे तो यह समय कर सकती है, परचेज कमेटी में एक्सईएन, एईएन और जेईएन होते हैं। तीनों ही इस बात से मना कर रहे हैं कि उन्हें सीसीटीवी कैमरे की किसी प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया।
3. पत्रावली के अनुसार सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम सामाजिक दायित्व निर्वहन के तहत आता है। इसके लिए मात्र आठ लाख का बजटीय प्रावधान था। नियमानुसार बजट का प्रावधान और इसका मद बोर्ड भी तय नहीं कर सकता, इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होतीहै, लेकिन यहां बोर्ड बैठक में बोलकर इसे पारित मानकर खरीद भी कर ली।
4. परचेज कमेटी में आयुक्त, तकनीशियन और अकाउंटेंट तीनों शामिल होते हैं। टेंडर खोलने वाली प्रक्रिया में मात्र आयुक्त और जेईएन के हस्ताक्षर है, अकाउंटेंट के हस्ताक्षर नहीं है। वैसे सिरोही नगर परिषद में अकाउंटेंट नहीं है ऐसे में राज्य सरकार के स्टोर परचेज नियम के तहत निकटवर्ती नगर परिषद या किसी अन्य सरकारी विभाग से टेंडर खोलने के लिए अकाउंटेंट को बुलवाया जाता है। ऐसे में दस्तावेजों में जो दिख रहा है उसके अनुसार अकाउंटेंट के बिना ही टेंडर खोल लिया गया, यह पूरी तरह से अवैध है।
5. इस प्रकरण में जो टेंडर प्रकाशित किया गया है उसमें अनुमानित दर नहीं दी गई है, जबकि जो एच शिडृयूल आया है उसके अनुसार इसके एक सेट की लागत करीब 16 लाख रुपए आ रही है। इसके अनुसार धरोहर राशि दो प्रतिशत के अनुसार 32 हजार रुपए आती है, लेकिन सरकार को चूना लगाने के लिए नगर परिषद अधिकारी, जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, स्टोर इंचार्ज और तकनीकी अधिकारी ने यह अनुमानित लागत निकालने के लिए इतना बडी तकनीक उपकरणों की खरीद के लिए एस्टीमेट नहीं बनवाया गया यह अखबार में प्रकाशित टेंडर ही बता रहा है। ऐसे में यह पूरी प्रक्रिया साजिश करके राजकोष को चूना लगाने की मिलीभगत प्रतीत हो रही है।
6. सबगुरू न्यूज ने गुजरात काॅमर्शियल टैक्स डिपाटमेंट की वेबसाइट पर देखा तो जिस कंपनी को वर्क आॅर्डर दिया गया वह बडोदा की बताई जा रही है और वेबसाइट के अनुसार इसका रजिस्ट्रेशन केंसल करना बताया जा रहा है। अहमदाबाद की मेमनगर में बताई जा रही इस कंपनी के वेबसाइट पर मिले नम्बर पर फोन करके जब सिरोही में सीसीटीवी कैमरे का ठेका लेने की बात पूछी तो उधर से बात कर रहे व्यक्ति ने यह कहते हुए फोन काट दिया कि वह आॅफिस में जाकर बताएगा। इसके बाद कोई बात नहीं की।
पहले भी हो चुका है ऐसे मामला
पूर्व में भी इसी तरह का मामला सामने आ चुका है। इसकी शिकायत पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गई थी, लेकिन उन्होंने भी कांग्रेस का बोर्ड होने के कारण इस भ्रष्टाचार की ओर ध्यान नहीं दिया।
अधिकारी कहिन
नगर परिषद की कैशबुक और रजिस्टर नायब तहसीलदार लेकर आए है। उन्होने मुझे इसकी जानकारी दी है।
बशीर मोहम्मद
तहसीलदार, सिरोही।