जयपुर। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि ओलावृष्टि से अत्यधिक प्रभावित राजस्थान को केन्द्र सरकार अतिशीघ्र हर संभव मदद कर राहत प्रदान करेगी। वित्त मंत्री ने आपदा राहत नियमों में बदलाव किये जाने की भी आवश्यकता बताई।
जेटली केन्द्रीय लघु एवं सूक्ष्म उद्योग राज्य मंत्री गिर्राज सिंह के साथ रविवार को प्रदेश के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने माना कि ओलावृष्टि से राजस्थान में जनधन, पशुधन व फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जिसके लिए केन्द्र सरकार हर संभव मदद उपलब्ध करायेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रदेश के दौरे में ओलावृष्टि से हुए नुकसान को उन्होंने स्वयं देखा है।
कई घरों की छतें टूट गई हैं और जहां तक नजर जाये खड़ी फसलें बर्बाद हुई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की मांग है कि आपदा से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधन के साथ-साथ आपदा प्रबंधन नियमों में भी शिथिलता दी जाये।
केन्द्र इस पर विचार करेगा, ताकि राज्यों को आपदा प्रबंधन में सुविधा हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही आपदा से हुए नुकसान की विस्तृत रिपोर्ट केन्द्र को भेजेगी, जिस पर विचार कर उचित निर्णय लिया जायेगा।
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ओलावृष्टि से टमाटर, संतरा, सरसों, धनिया, जीरा एवं इसबगोल की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ के प्रावधानों में बदलाव होने पर राज्य सरकार आपदा के समय प्रभावितों को आवश्यकतानुसार सहायता तुरन्त उपलब्ध कराने में सक्षम होगी। मुख्य सचिव सीएस राजन ने आपदा के बाद राज्य सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों की विस्तृत जानकारी केन्द्रीय वित्त मंत्री को दी।
बैठक में आपदा प्रबंधन एवं सहायता सचिव रोहित कुमार ने प्रस्तुतीकरण दिया, जिसमें राज्य सरकार ने केन्द्र से मांग की कि एसडीआरएफ के प्रावधानों में शिथिलता देते हुए राज्य को 90 दिनों से अधिक राहत गतिविधियां संचालित करने की छूट दी जाये। राज्य सरकार ने मांग की कि फसलों को 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर ही सहायता दिये जाने के प्रावधानों में संशोधन कर सभी प्रभावित काश्तकारों को आनुपातिक नुकसान के आधार पर सहायता दी जाये तथा एसडीआरएफ के तहत कृषि आदान सहायता की दरों में बढ़ोतरी कर इसे मूल्यवृद्धि से जोड़ने की मांग रखी गई।
यह किया आग्रह- राज्य सरकार ने महात्मा गांधी नरेगा की गाइडलाइन्स में बदलाव कर प्राकृतिक आपदा प्रभावित जिलों में प्रति परिवार 200 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने एवं एनएफएसए रेट पर 5 लाख मीट्रिक टन गेहूं उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया, ताकि महात्मा गांधी नरेगा के मजदूरों को मजदूरी का एक चौथाई भाग गेहूं के रूप में मिल सके।
इसके अलावा सांसद क्षेत्रीय विकास निधि के दिशा-निर्देशों में बदलाव करने का भी आग्रह किया गया, ताकि सांसद मुख्यमंत्री सहायता कोष के लिए 50 लाख रुपये दे सकें।
राज्य सरकार ने प्रभावित किसानों के चार माह के बिजली के बिलों एवं आबियाना शुल्क का भुगतान एसडीआरएफ मद से करने का प्रावधान करने, कृषि सहकारी ऋणों के भुगतान की समयावधि बढ़ाने एवं 3.15 लाख मीट्रिक टन गेहूं निःशुल्क उपलब्ध कराने की भी मांग की। राज्य सरकार ने मांग की है कि मौसम आधारित फसल बीमा योजना में बदलाव कर इसे फसलों को हुए वास्तविक नुकसान एवं फसल की उत्पादकता से जोड़ा जाना चाहिए।
बैठक में आपदा प्रबंधन एवं सहायता मंत्री गुलाबचंद कटारिया, कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि अशोक सम्पतराम, प्रमुख शासन सचिव वित्त पीएस मेहरा, प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज श्रीमत पाण्डे, प्रमुख शासन सचिव सहकारिता दीपक उप्रेती, प्रमुख शासन सचिव खाद्य सुबोध अग्रवाल, प्रमुख शासन सचिव पशुपालन एवं डेयरी राजेश्वर सिंह तथा प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा संजय मल्हौत्रा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।