नई दिल्ली। केन्द्र सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन हर साल बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए सरकार एक कमेटी का गठन करने की तैयारी है। न्यूनतम वेतन को 18 हजार की जगह 21 हजार करने पर विचार हो रहा है।
कमेटी इस बात की समीक्षा करेगी कि ये कितना तर्कसंगत साबित होगा। इतना ही नहीं बल्कि सरकार निजी कम्पनियों में काम करने वाले कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी को दोगुना करने पर भी कानून लाने जा रही है। बताया जा रहा है कि इससे इन कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी को दोगुनी होगी ही, इसके साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी हर साल बढ़ेगी।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सरकार अब वेतन आयोग की परंपरा को खत्म करना चाहती है। इस बीच कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स का कहना है कि अगर सरकार ये कदम उठा रही है तो इसे जल्दी से लागू कर दिया जाना चाहिए। क्योंकि वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतन बढ़ाने पर सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है।
हाल ही में सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया तो सरकारी खजाने पर एक लाख करोड़ रुपए का बोझ बढ़ गया। नए फार्मूले को लागू किया गया तो केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में नियमित रूप से इजाफा किया जाएगा। इसके लिए एक पैरामीटर तैयार किया जाएगा।
इस बीच सातवें वेतन आयोग के प्रमुख जस्टिस एके माथुर ने बताया कि सरकार को हर दस साल में वेतन आयोग का गठन कर वेतन बढ़ोतरी नहीं करनी चाहिए। इस बीच वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी कहा है कि मंत्रालय ने इस बारे में राज्य सरकारों से राय मांगी है।
इसका अर्थ ये लगाया जा रहा है कि केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़नेे पर राज्य सरकारों को अपने कर्मचारियों की सैलरी हर हाल में बढ़ानी होगी। बताया जा रहा है कि सरकार सबसे पहले एक महंगाई बास्केट बनाएगी। इसमें खाद्य वस्तुओं से लेकर हर चीज से संबधित महंगाई दर की लिस्ट तैयार की जाएगी। इस लिस्ट के आधार पर ही कर्मचारियों की सैलेरी में इजाफा किया जाएगा।