भोपाल/रीवा। मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना खटाई में नगर आ रही है, क्योंकि यहां अधिकारी-कर्मचारी इस योजना में वैसा उत्साह नहीं दिखा रहे हैं, जैसा कि केंद्र के निर्देश हैं।
राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के बड़े महानगरों में तो लोग इस योजना में काफी रूचि दिखा रहे हैं, लेकिन प्रशासन की अरुचि के चलते इस योजना को पलीता लग रहा है।
प्रशासनिक अधिकारियों-कर्मचारियों की लचरता के कारण प्रदेश में यह योजना अपेक्षा के अनुरूप रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। रीवा में नगर निगम की ओर से इस योजना के लिए शहर के भीतर करीब 30 हजार से अधिक आवेदन फार्म वितरित कर दिया। लेकिन इन फार्मों को जमा करने के लिए लोग नहीं आ रहे हैं। अब करीब एक हजार ही फार्म निगम कार्यालय तक पहुंचे हैं।
इसके पीछे योजना के लिए निर्धारित शर्तों के साथ ही पूर्व में निगम द्वारा किए गए कार्यों में मनमानी को भी माना जा रहा है। नगर निगम के अधिकारियों ने सभी 45 पार्षदों और वार्ड मोहर्रिर को आवेदन फार्म दिए थे, ताकि अधिक से अधिक लोगों की आवास निर्माण के लिए सहमति मिल सके।
वर्ष 2022 तक बेघरों को आवास दिया जाना है, इसके लिए शपथ पत्र के साथ आवेदन लिए जा रहे हैं। नगर निगम प्रशासन ने पहले चरण में करीब पांच हजार आवास निर्मित करने की योजना तैयार की है। अभी तक महज एक हजार आवेदन फार्म ही जमा किए जा सके हैं। जानकारी मिली है कि नगर निगम में आवेदन जमा करने के लिए कोई विशेष काउंटर नहीं है। जिन कर्मचारियों के हवाले यह जिम्मेदारी है वह आवेदकों को पावती नहीं दे रहे हैं।
जिसकी वजह से अधिकांश आवेदक निगम कार्यालय तक पहुंचने के बाद भी आवेदन वापस लेकर लौट रहे हैं। गत दिवस निगम आयुक्त से भी कुछ कर्मचारियों की मनमानी की शिकायत की गई थी। अभी तक निगम की ओर से व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी है।
योजना के तहत आवेदन करने वाले सभी पात्र लोगों को आवास दिया जाना है। इसके लिए चार स्तर पर हितग्राहियों को चयन किया जाना है। इसमें मलिन बस्ती उन्मूलन के तहत पक्के मकान बनाए जाने हैं बशर्ते नगर निगम के दस्तावेज में उक्त बस्ती शामिल होना चाहिए। इसमें ऋण आधारित ब्याज अनुदान भी दिया जाएगा, वहीं भागीदारी में किफायदी आवास की शर्तों के तहत ईडब्ल्यूएस भवनों के लिए केन्द्रीय सहायता डेढ़ लाख रुपए प्रति आवास की दर से सहायता दी जाएगी।
इसके अलावा व्यक्तिगत आवास योजना के तहत नगर निगम आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही हितग्राही के स्वयं के आवास में मरम्मत या अतिरिक्त निर्माण कराएगा। बीते साल शहर के भीतर अटल आश्रय योजना के तहत सस्ते दर पर आवास देने के लिए हाउसिंग बोर्ड ने भी लोगों से आवेदन जमा कराए थे। आवास आवंटन के समय उक्त आवेदनों पर कोई विचार नहीं किया गया और सब आवेदन कचरे के ढेर में फेक दिए गए।
इसी वजह से कई लोगों ने कहा है कि वह आवेदन जमा नहीं किए हैं। नगर निगम के अधिकारी लोगों को समझा नहीं पा रहे हैं। नगर निगम की ओर से वार्डों में शिविर भी लगाए गए वहां पर पहुंचे लोगों को आवेदन वितरित किया गया। इस तरह से बांटे गए आवेदन फार्मों की संख्या बढ़ती गई लेकिन उन्हें जमा करने लोग निगम कार्यालय तक नहीं पहुंचे।
वहीं पार्षदों की ओर से भी अभी तक बहुम कम संख्या में आवेदन फार्म जमा कराए गए हैं। यही स्थिति कमोबेश प्रदेश के अन्य शहरों की भी है। प्रदेश में गरीबों की मंशानुरूप उन्हें अपने घर का सपना साकार करने के लिए यह मुफीद लग रही है, लेकिन निकायों की अरुचि के चलते इसमें अपेक्षा के मुताबिक फार्म नहीं भरे जा रहे हैं।