नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर मुसलमानों में तीन बार तलाक कहने पर होने वाले तलाक पर अपनी आपत्ति जताई है। हलफनामे इस तरह के तलाक को केंद्र ने महिलाओं के साथ होने वाला लैंगिग भेदभाव बताया है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि तीन तलाक की प्रथा का धर्मनिरपेक्ष देश में कोई जगह नहीं है। पर्सनल लॉ के आधार पर किसी को उसके संवैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। यह महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्व, अनुचित और अन्याय पूर्ण रवैया है।
केन्द्र ने कहा कि इस तरह के तलाकों के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत 20 मुस्लिम देशों में अलग से कानून बनाए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि तीन तलाक के मामले में ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर चुका है।
हलफनामे में कहा गया है कि पर्सनल लॉ को सामाजिक सुधार के नाम पर दोबारा से नहीं लिखा जा सकता। यह कुरान के आधार पर है और इसकी वैधता पर सुप्रीम कोर्ट निर्णय नहीं ले सकता।
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