नई दिल्ली। देश के करीब एक दर्जन राज्यों में चल रही सूखे की समस्या के प्रति केंद्र की मोदी सरकार गम्भीर हो गई है। कैबिनेट सचिव ने मंगलवार को देश में पानी की कमी वाले और सूखा ग्रस्त क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की।
बैठक में सभी सूखा ग्रस्त राज्यों के मुख्य सचिव बैठक में शामिल हुए। भारत सरकार के कृषि, ग्रामीण विकास, पेयजल, पशुपालन, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, जल संसाधन, गृह, वित्त और रेल जैसे संबद्ध विभागों और मंत्रालयों के सचिवों ने भी विचार विमर्श में भाग लिया।
केंद्रीय सूखा राहत आयुक्त ने वर्षा की कमी और खरीफ 2015, रबी 2015-16 तथा सूखा ग्रस्त राज्यों में किसानों की समस्याओं के निवारण के लिए उठाए गए/उठाए जा रहे उपायों के बारे में बताया।
सूखे की स्थिति के दौरान डीजल, बीज, बागबानी और चारा अनुदान राहत पर समय पर की गई पहलों की भी समीक्षा की गई। मनरेगा के अंतर्गत सौ दिन या उससे अधिक अतिरिक्त 50 दिनों के लिए काम उपलब्ध कराने, सूखा ग्रस्त जिलों के लिए आकस्मिक फसल योजना तैयार करने और आरकेवीवाई के तहत सूखा राहत के लिए आवंटन दिए जाने जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत खाद्यान्न की स्थिति और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए इसका वितरण, राष्ट्रीय आपदा राहत कोष/ राज्य आपदा राहत कोष के अंतर्गत सहायता, बच्चों और दूध पिलाने वाली माताओं की पौष्टिकता की जरूरतों को पूरा करने, मध्याह्न भोजन योजना और सबसे महत्वपूर्ण पेयजल आपूर्ति की भी समीक्षा की गई।
इसके बाद सभी सूखा प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ राज्य विशेष समस्याओं और आवश्यकताओं के बारे में विचार विमर्श किया गया। पेयजल, ग्रामीण विकास, चारा आपूर्ति, तुरंत राहत सहायता जारी करने के विशिष्ट विषयों पर लाभदायक विचार विमर्श करने के बाद केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने केंद्र सरकार के विभागों और मंत्रालयों को निम्नलिखित कदम उठाने के निर्देश दिए।
बैठक में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत राज्य सरकारों को चारा खरीद के लिए तुरंत कोष का आवंटन करने की सलाह दी गई। साथ ही यह भी कहा गया कि पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभागों द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत वित्तीय सहायत प्राप्त करने के लिए राज्य सरकारों को तुरंत केंद्र सरकार से संपर्क करना चाहिए। सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए चारे की उपलब्धता बढ़ाने के वास्ते उपायों पर विस्तृत सुझाव जारी किए जाएंगे।
राज्य सरकारों की समस्याओं के निवारण के लिए पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के वास्ते राशि जारी करेगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सूखा ग्रस्त राज्य में लोगों को 100 दिन के गारंटी रोजगार के अतिरिक्त काम उपलब्ध कराया जाए और राज्यों के लिए समय पर राशि जारी की जाए।
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों को दिए जाने वाले वेतन भुगतान के अपने दायित्वों का पहले ही निर्वाह कर दिया है। राज्य आपदा राहत कोष के अंतर्गत राशि जारी करके तुरंत सूखा राहत उपलब्ध कराया जाएगा।
इस स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रीय और राज्य आपदा राहत कोष के अंतर्गत सूखा प्रभावित राज्यों को तुरंत वित्तीय राहत प्रदान करने की शर्तों को दोबारा तय किया जाना चाहिए। इन शर्तों को अंतिम रूप देकर कार्यान्वित किया जाना चाहिए।
राहत देने के लिए रेल और पानी के टैंकरों के जरिए जल आपूर्ति जारी रखी जानी चाहिए। कैबिनेट सचिव द्वारा नियमित अंतराल पर पानी की कमी और सूखे की स्थिति की निगरानी की जानी चाहिए।