जीवन अनमोल हैं इसे यूं ही वेस्ट ना करें बल्कि जीने की कला सीखे दुःख हो या सुख हर पल को एंजोय करें। ज़िंदगी अनोखी पहली हैं कोई नहीं सुलझा सकता। जिंदगी में कई बार हम ख़ुश रहते है तो कभी दुख से भी सामना हो जाता है पर ज़िन्दगी चलती जाती हैं। किसी ने ठीक ही कहा है की ज़िंदगी का रोना भी कोई रोना है, ज़िंदगी रोकर काटो या हंसकर वह तो कट ही जाती है। सुख और दुख तो जिंदगी के साथ चलने वाले खेल हैं। आज एक कहानी के जरिये बताते हैं दुःख में कभी पीछे नहीं हटे न घबराएं।
कारण यह है की हमारी नकारात्मक सोच और चिंतन हम पर हावी हो जाते है। कहते है की इंसान जैसा सोचता है वैसा ही बन जाता है। अगर सोच सकरात्मक होगी तो दुख मे भी कही न कही सुख की अनुभूति होगी।
राजू और हरीश की अपनी कपड़ो की दुकान थी। दुर्भाग्यवश आग लगने से दोनों की दुकाने जल गई लेकिन वो दोनों किसी तरह से बच गए। चारो तरफ शोर मच गया। दोनों तरफ के दोस्त और रिश्तेदार उनके घर उनसे मिलने के लिए पहुंचे और गहरी सहानंभूति प्रकट की। राजू बहुत दुखी और निराश था। भगवान पर सारा दोष मढ़ते हुए बोला – हाय अब मेरा क्या होगा? मेरे परिवार का पालन – पोषण कैसे होगा? भगवान को मै ही मिला था क्या? काश मै भी आग मे जल जाता ताकि यह सब न देखना पढ़ता ।
वही दूसरों और जब लोग हरीश के पास पहुँचकर उसका हाल चाल पूछने लगे तो सभी हैरान रह गए। वह बड़ा शांत था। उसके चहेरे पर आशा की किरण झलक रही थी क्योकि उसकी सोच सकरात्मक थी। उसने कहा – मै तो बड़ा खुशनसीब हूँ, भगवान का लाख लाख शुक्रिओ जो मेरी जान बच गई। दुकान तो मै मेहनत करके दुबारा बना लूँगा लेकिन अगर मेरी जान चली जाती तो मेरे परिवार का क्या होता।
इस प्रकार देखा गया की परिस्थिति तो एक ही थी लेकिन एक आशावान था और दूसरा निराश। दोनों की सोच मे बहुत अंतर था। यह ठीक है की हम अपनी परिस्थितियो और घटनाओ को नहीं बदल सकते लेकिन दृष्टिकोण बदलना तो हमारे हाथ मे ही है।
प्रकृति ने हमे रास्ता बताया है की दुख तकलीफ़ों के समय रोने, सिर पीटने या डरने की बजाय अपने आप पर, अपने कर्मो(actions) पर विश्वास रखिए जिससे की आगे बढ़ने के लिए शक्ति, प्रेरणा और लक्ष्य मिले। किस्मत भी उन्ही का साथ देती है जिनमे कुछ करने का साहस होता है।
हर दिन एक जैसे नहीं होते। प्रकृति का नियम है की रात के बात दिन जरूर आता है। यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। बुरे वक्त मे हमे भी सुख रूपी सुबह का खुशी खुशी इंतजार करते रहना चाहिए जो हमारे लिए एक नयी ऊर्जा का निर्माण करती है। दूसरों से तुलना करके अपने भाग्य को कोसने की बजाय अपनी अच्छी बुरी आदतों, कमजोरियों और ताकतों को परखें और हिम्मत न हारकर आगे बढ़ते रहे। यही है खुशहाल ज़िंदगी (happy life) का सबसे बड़ा मंत्र ।
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