सिरोही। नगर परिषद के अब तक के सबसे विवादों में घिरे रहे बोर्ड की अंतिम साधारण बैठक जयश्री राठौड की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई। बैठक के शुरू होते ही इसके लिए नगर पालिका अधिनियम के तहत निर्धारित समय पहले एजेंडा नोटिस नहीं मिलने के कारण इसे अवैधानिक करार देने के लिए नौटंकी भी की गई, लकिन दिखावटी विरोध के बाद बैठक शुरू हो गई।…
कुछ पार्षदों को विरोध था कि नियमानुसार उन्हें 7 दिन पहले साधारण बैठक का एजेंडा और नोटिस नहीं मिला। आयुक्त ने दलील दी कि उन्होंने एक अक्टूबर को ही इसका एजेंडा निकाल दिया था। फिर सब चुप्पी लगाकर बैठ गए। इस बैठक में पार्षदों ने हंगामा करके कई जनविरोधी निर्णयों को निरस्त कराने की बात की और इन प्रस्तावों की हस्ताक्षरशुदा एक रफ कापी भी ली गई।
मुख्य मुदृदे
– बैठक में सुरेश सगरवंशी समेत अन्य पार्षदों ने नगर परिषद भवन व मकानों के रंगरोगन तथा एलआईसी के सामने महिला व पुरुष षौचालय बनाने के लिए निकाली गई अल्पकालीन निविदा को निरस्त करने का प्रस्ताव लिया। इसके विपरीत सरजावाव दरवाजे पर महिला शौचालय बनाने का प्रस्ताव लिया।
– बैठक के आयोजन के नियमों की प्रतिलिपि मांगी, लेकिन आयुक्त ने पार्षदों की बात की अनदेखी करते हुए नियम नहीं दिखाए।
– शहर में आई हाईमास्ट लाइटों को बिना वर्क आॅर्डर के मंगवाने को लेकर सभापति व आयुक्त का आडे हाथों लिया, इसकी पांच लाख रुपए लागत आने को लेकर भी इस मामले भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए इस टेंडर को निरस्त करने की मांग रखी।
– पार्षद जितेन्द्र ऐरन ने तो शहरवासियों के हित में हाइमास्ट लाइट लगवाने की मनाही की, उनका कहना था कि इसका बिल बहुत आता है और इसका बोझ सीधे जनता की जेब पर पडता है। उन्होंने कहा कि इसकी बजाय शहर की रोड लाइटों को दुरुस्त किया जाए।
– राज्य सरकार की ओर से आए दो करोड रुपए को मंगवाने और विकास कार्यों के तहत शहर में गडृढे भरने का काम करवाने की बात कही गई।
– पुलिस अधीक्षक के कहने पर शहर में सीसीटीवी कैमरे लगवाने व गल्र्स स्कूल की बाउण्डृी वाल बनाने पर भी चर्चा हुई।
खेल गए अपना खेल
आखिरी बैठक में भी पार्षद अपना खेल खेल गए। नगर परिषद की अंतिम बैठक में सफाई ठेके को नियमित करने का प्रस्ताव सुरेश सगरवंशी ने रखा। जगदीश सैन ने इसे निरस्त रहने की ही मांग की। नगर परिषद से सफाई ठेके के नाम पर अनावश्यक पैसा निकल रहा था, जिसे सफाई कर्मियों की भर्ती के बाद पूर्व आयुक्त अमरीष गुप्ता ने निरस्त कर दिया था।
बिना एस्टीमेट और नियमों के विपरीत हर महीने जनता के आठ लाख रुपए का चूना इस ठेके के माध्यम से जनधन को लग रहा था। इस ठेके की राशि में हिस्सेदारी के आरोप भी लगते रहे है। कई बार इसमें अनियमितताएं मिलने पर भी ठेकेदार को पूरी राशि दी गई थी। जगदीश सैन ने तो सफाई भर्ती में कार्मिकों से पैसे लेने का भी आरोप लगाया।
बैठक मे बालाजी कोलोनि के बाशिन्दे पहुंचे तो हंगामा मच गया, आयुक्त ने इन्हे बाहर बैठने को कहा तो कई पार्षद नगर परिषद की साधारण बैठक मे आम शहरि के आने के अधिकार कि पैरवी करते दिखे. इस पर आयुक्त को उन्हे बैठक मे बैठ्ने कि अनुमति देनी पडी, ये लोग इनके इलाको मे सडक और बिजली कि समस्या के लिये आये थे.
तो दुत्कार दिया
नगर परिषद पार्षदों ने अपनी गरिमा को किस तरह से गिराया है इसकी बानगी भी अंतिम बैठक में देखने को मिली। बैठक में लिए गए प्रस्ताव की हस्ताक्षरयुक्त प्रतिलिपि की मांग को लेकर पार्षद ईश्वरसिंह डाबी बैठक में ही धरने पर बैठ गए। बाद में रफ प्रोसिइड्ंग एक काॅपी मंगवाई, आयुक्त लालसिंह राणावत ने काॅपी पर अपने हस्ताक्षर करके दी।
वह इसके दोनों पृष्ठो पर हस्ताक्षर करने की मांग पर अड गए तो राणावत ने उन्हें लपका दिया। इधर, बाहर निकलते हुए वरिष्ठ बाबू फकीरचंद वाघेला ने भी यह कह्ते हुए उन्हें लपका दिया कि चार दिन बाद कोइ पूछेगा नहि,डबि भि यह कह्कर अपनी पीठ थपथपाते दिखे कि चुनाव जीतकर वो फिर लौटेंगे. पार्षद की इस दुर्गति पर शेष पार्षद मौन रहे।
सिर्फ ये बोले
बैठक में कई पार्षद आए थे। इनमें से सुरेश सगरवंशी, जगदीश सैन, जितेन्द्र सिंघी, ईश्वरसिंह डाबी, मगन मीणा, दमयंती डाबी, भगवती व्यास और मणिदेवी ही बोलते नजर आए। चुनाव सिर पर है इसलिए जितेन्द्र ऐरन संभवतः पहली बार अपने वार्ड के हित में मांग करते दिखे और हाईमास्ट लाईट नहीं लगाने पर बोले।
इसके अलावा किसी पार्षद की जुबान नहीं खुली। मूक दर्शक बने शेष पार्षद न तो अनियमित तरीके से हाईमास्ट लाईट लगाने, एलआईसी के सामने शौचालय बनाने और नगर परिषद में रंगरोगन करवाने के विरोध में बोले और न ही शहर में गडढे भरवाने व सरजावाव दरवाजे के पर महिला शौचालय बनाने के लिए बोले।