मुंबई। दिल्ली में महाराष्ट्र सदन निर्माण व कालीना भूखंड की खरीदी में किसी भी तरह का गलत काम नहीं किया गया है। इन दोनों मामलों में न तो कोई भ्रष्टाचार हुआ है और न अनियमितता। मैंने पहले भी इन मामलों की जांच में सहयोग किया है और आगे भी पूरा सहयोग करता रहूंगा। यह जानकारी पूर्व मंत्री व वरिष्ठ राकांपा नेता छगन भुजबल ने मुंबई में पत्रकारों को दिया है।
भुजबल ने कहा कि महाराष्ट्र सदन और कालिना भूखंड प्रकरण में किसी भी प्रकार की गलत निर्णय नहीं लिया गया, जो भी निर्णय लिए गए वे अकेले भुजबल ने नहीं, संपूर्ण कैबिनेट और मुख्यमंत्री की अनुमति से लिए गए। एक भी निर्णय एक दिन में नहीं हुआ।
निर्णय प्रक्रिया में तीन-तीन माह का समय लगा, इसके बाद संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण कर फैसले लिए गए। इसमें मैंने कोई भी गलत काम नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जब जून माह में एंटी करप्शन ब्यूरो ने एफआईआर दाखिल की तो मैं स्वयं तीन से चार बार पूछताछ के लिए गया। समीर और पंकज भुजबल भी गए। एसीबी की जांच में पूरा सहयोग किया।
भुजबल ने कहा कि महाराष्ट्र सदन मामले में पीडब्लूडी ने मामले की पूरी जांच की। इस जांच में पाया गया कि कुछ भी गलत नहीं हुआ है। इस फाइल पर विभाग के अतिरिक्त सचिव सहित विभाग के मंत्री के हस्ताक्षर भी है।
उन्होंने कहा कि समीर भुजबल को 15 साल पुराने कागजात पत्र के साथ ईडी ने बुलाया था। तब उन्होंने कहा कि इतने पुराने कागजात जुटाने में समय लगेगा। इसके बाद जब समीर ने कागजात जुटा लिए तो उन्होंने ईडी में फोन कर इस बात की जानकारी भी दी थी, लेकिन चार दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कहा गया कि वे ईडी को जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
हमारे पास कागजात हैं, हमसे पूछो, हम आपको सभी बात बताएंगे। उन्होंने कहा कि खार घर जमीन मामले में मनी लाड्रिंग का मामला गलत है। मामले को लेकर भ्रम पैदा किया गया। वहां जमीन में कई लोगों की भागीदारी थी।
समीर भुजबल के सीए सुनील नाईक ने कंपनी बनाकर काम किया। वहां नौ इमारत बनाने की काम शुरू भी हो गया। इस तरह के काम कई अन्य लोग भी कर रहे थे, ऐसे में समीर भुजबल यह काम कर रहा था, तो इसमें गलत क्या है।
भुजबल ने कहा कि इस मामले में भाजपा के सांसद किरीट सोमैया ने दुष्प्रचार करने का काम किया। आज ऐसा चल रहा है कि जो किरीट बोलेंगे, वहीं होगा।